जंग के बीच जिंदगी बचाने की जद्दोजहद:यूक्रेन में बच्चों को महफूज रखने के लिए सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा, बंकरों को अस्पताल बनाया

यूक्रेन में जंग का असर बच्चों पर भी पड़ रहा है। उन्हें मेट्रो स्टेशन, बंकर और सब-वे जैसे सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है। कई इलाकों में बंकरों को अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है। यहां गर्भवती महिलाओं और जन्में बच्चों को देखभाल के लिए भेजा रहा है।
ऐसा ही एक बंकर अस्पताल कीव से सटे डनिप्रो में बनाया गया है। यहां 12 से ज्यादा नवजात को रखा गया है। इनकी देखभाल के लिए डॉक्टर और नर्स तैनात हैं। बंकर में कैमरे लगाए गए हैं, जिनसे मॉनिटरिंग की जा रही है।
द सन से बात करते हुए स्थानीय अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ डेनिस सुर्खोव ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है। इसके लिए हमने बेसमेंट में निकु वार्ड बनाया है, जहां अस्पताल से बच्चों को शिफ्ट किया गया है। बंकर में हम पूरी तरह से सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं। सुर्खोव ने कहा कि यह अकल्पनीय है।
इस अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ डेनिस सुर्खोव ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है। इसके लिए हमने बेसमेंट में निकु वार्ड बनाया है, जहां अस्पताल से बच्चों को शिफ्ट किया गया है। बंकर में हम पूरी तरह से सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं। सुर्खोव ने कहा कि यह अनुभव अकल्पनीय है।
मेट्रो स्टेशन में बने शेल्टर में बच्ची का जन्म
कीव में 23 साल की महिला ने मेट्रो स्टेशन में बने शेल्टर में एक बच्ची को जन्म दिया। इसका नाम ‘मिया’ रखा गया है। महिला और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं। बमबारी के बीच लोग इसे उम्मीद की किरण बता रहे हैं। कुछ कहना है कि यह चमत्कार है कि कम सुविधाओं में भी इस बच्ची ने जन्म लिया। मां ने कहा- मेरे लिए वह बेहद मुश्किल समय था। मैं बहुत तनाव में थी। नवजात को जन्म देने के दौरान महिला दर्द से कराह रही थीं, जिसे सुनकर यूक्रेन पुलिस पहुंची। एक अधिकारी म्यकोला श्लापक ने बताया कि महिला को देखने के बाद हमने तुरंत एंबुलेंस बुलाया और दोनों को अस्पताल भेजा, जहां मां और बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं।
बच्चों और महिलाओं को सेफ जगहों पर भेजा
कीव में रूसी सेना के हमले से बचने के लिए महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। सभी को सेना की निगरानी में एंटी बम शेल्टर होम में भेजा गया है। वहीं पुरुषों को सेना के साथ युद्ध के मोर्चे पर डटे रहने के लिए कहा गया है। यूक्रेन सरकार ने 18 वर्ष से लेकर 60 वर्ष तक के लोगों को देश से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी है।