जबलपुर: वरिष्ठ राजनेता शरद यादव का निधन देश की के लिए बड़ी क्षति

 जबलपुर: वरिष्ठ राजनेता शरद यादव का निधन देश की के लिए बड़ी क्षति
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जबलपुर। जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन हो गया है। उनकी बेटी ने इस खबर की पुष्टि की। 75 साल की उम्र में शरद यादव ने गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली है। देश की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले शरद यादव के जाने से सभी शोक में डुब गए हैं। उनकी समाजवाद वाली राजनीति ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया था, भारतीय राजनीति के वरिष्ठ नेता, समाजवादी आंदोलन और वर्ग की एक बुलंद आवाज़ अब खामोश हो गई। छात्र राजनीति में कॉलेज की पंचायत से लेकर लोकतंत्र की सबसे बड़ी अदालत संसद तक उनकी आवाज गूंजती रही। सड़क से संसद तक का सफर तय करने वाले शरद यादव का जीवन हमेशा यादगार रहेगा। शरद यादव की लोकप्रियता का कमाल इस बात से लगा सकते हैं कि देवा मंगोड़े वाले की दुकान में उनकी सबसे ज्यादा तस्वीरें लगी हुई हैं। शरद यादव ने जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। वर्ष 1974 में सिर्फ 25 साल एक माह सात दिन की उम्र में जीवन का पहला चुनाव लोकसभा का लडा और उसमें वे जीते। यह जबलपुर लोकसभा का उपचुनाव था। शरद यादव ने हलधर किसान चिन्ह से यह चुनाव जेल में रह कर लड़ा था। यहीं से देश में पहली बार संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार की अवधारणा शुरू हुई और वर्ष 1977 में इमरजंसी के बाद जनता पार्टी का गठन इसी अवधारणा के तहत् हुआ। शरद यादव जयप्रकाश आंदोलन की उपज थे। शरद यादव को दो बार मीसा में बंद किया गया था। उस समय वे सात व ग्यारह माह जेल में बंद रहे। शरद यादव को सामाजिक न्याय का हीरो कहा जाता था। वे जबलपुर से निकल कर उत्तरप्रदेश के बदायूं पहुंचे और वहां से बिहार के मधेपुरा। यहां से उन्होंने चुनाव जीता। नर्मदा के किनारे के वासी शरद यादव का नक्षत्र राष्ट्रीय राजनीति में चमका। शरद यादव और जबलपुर का मालवीय चौक एक दूसरे का पर्याय थे। मालवीय चौक उनका अड्डा हुआ करता था। मालवीय चौक में पंड‍ित जी व खट्टू सिंधी की पान उनका ठिया हुआ करता था। शरद यादव के दोनों पैर पुलिस के लाठी चार्ज में चोटिल हुए थे, जिसका असर जीपनपर्यंत रहा।

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