जबलपुर: महापौर के इंजीनियर भांजे को थमा दिए मलाईदार जोन,सीनियरों में भड़का आक्रोश,निगामायुक्त ने जारी किया आदेश,

SET NEWS, जबलपुर। अनुभव और कार्यकुशलता भले ही बिल्कुल न हो मगर यदि आप किसी पहुंचे हुए नामी नेता या पद पर आसीन पदाधिकारी के करीबी नाते रिश्तेदार है तो फिर सारी अयोग्यता को कुशलता मानना या कहना उस महकमें की सरकारी मजबूरी बन जाती है। जबलपुर नगर पालिक निगम में इसकी बोलती तस्वीर सभी के सामने इंजीनियर दिग्दर्श सिंह के रूप में देखी जा सकती है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो डिग्रीधारी इंजीनियर दिग्दर्श सिंह को कार्य की बारिकियों और पेचीदियों का जरा भी अनुभव नहीं है। लेकिन फिर भी संभाग क्रमांक 1, 2, 3, 4, 13 के लिए भवन निर्माण में आवश्यक नक्शा के ऑनलाइन आवेदन और निरस्तीकारण का संपूर्ण दायित्व दिग्दर्श सिंह को सौंप दिया गया है। विभागीय चर्चा हैं कि निगमायुक्त प्रीती यादव ने महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू को उपकृत करने के लिए दिग्दर्श को को चुना क्योंकि वह महापौर अन्नू के भांजे है।
स्मार्ट सिटी का अतिरिक्त भार-
कार्यालीन सूत्रों के मुताबिक बताया जाता हैं कि वर्तमान में दिग्दर्श सिंह के कांधो पर स्मार्ट सिटी का अतिरिक्त भार भी है। जबकि दिग्दर्श के अलावा कई सीनियर और अनुभवी इंजीनियर तैनात है ऐसे में महत्वपूर्ण जोनों की जवाबदारी हर किसी के गले नहीं उतर रही है। आखिर दिग्दर्श सिंह ही क्यों इसका सीधा जवाब किसी के पास नहीं लेकिन यह कहा जा रहा है कि विभागीय व्यवस्था में यह किया जा सकता है।
भ्रष्ट्राचार के मामलों में हावी ननि
गौरतलब हैं कि नगर निगम जबलपुर भ्रष्ट्राचार के मामलों में बहुत आगे है। ऐसे कई निर्माण कार्य हुए जो सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गए, धरातल में उनका कोई नामों निशान नहीं है। साफ सफाई हो या फिर सड़कों के निर्माण कार्य हर कार्य के लिए कमीशन की मोटी रकम सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष और अधिकारी वर्ग में बराबर बांटा जाता है। जिसकी बानगी कई मर्तबा सामने आ चुकी है।
नियुक्ति पर भी उठे सवाल
निगमायुक्त के आदेश के तत्काल बाद नगर निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों में आक्रोश का माहौल पनप गया है। विभागीय सूत्रों की मानें तो स्मार्ट सिटी का कार्य देख रहे दिग्दर्श सिंह, संभव अयाची, राहिल गुप्ता तीनों नगर निगम से जुड़े है। दिग्दर्श ओलम्पिक संघ के दिग्विजय सिंह के पुत्र है, वहीं संभव पूर्व अपर आयुक्त राकेश अयाची तो राहिल इंजीनियर राकेश गुप्ता का बेटा है। सवाल इस बात का नहीं आखिर इनको मलाईदार कार्य क्यों सौंपे जा रहे है बल्कि अभी तक यह पुख्ता जानकारी नहीं मिल सकती है इंजीनियर के पद पर नगर निगम द्वारा भर्ती के लिए बकायदा और विधिवत कोई भर्ती परीक्षा या प्रतियोगी परीक्षा सार्वजनिक तौर पर ली गई थी या फिर बैक डोर से एंट्री कराई गई है,
इनका कहना है-
प्रशासनिक कार्य व्यवस्था की द्रष्टि से भवन शाखा में ऑनलाइन बिल्डिंग अप्रूवल सिस्टम के अंतर्गत फेरबदल किया गया है। इसमें किसी तरह का कोई पक्षपात नहीं हुआ है।
-प्रीती यादव, निगमायुक्त
सुनील सेन सेट न्यूज जबलपुर,