जबलपुर: दलितों पर दबंगो का कहर, पांच दिन बाद भी पुलिस ने दर्ज नही की एफआईआर तो पीड़ित ने सीएम हेल्पलाइन में की शिकायत,तिलवारा थाने का मामला,,

SET NEWS जबलपुर ! मध्यप्रदेश में इस समय दबंग रसूखदारो के हौसले इस कदर बुलंद है कि वह दलित औऱ गरीबों पर अत्याचार करने से बिल्कुल भी नही चूक रहे है, और यही वजह है कि अब पीड़ित परिवार न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है लेकिन पांच दिन वीत जाने के बाद भी तिलवारा पुलिस ने पीड़ित दलित वंशकार परिवार पर हुए जानलेवा हमले के 5 दिन बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं की।
दरअसल तिलवारा थाना क्षेत्र के सिवनीटोला गांव में दलित वंशकार परिवार पर 31 दिसंबर को करीब दो दर्जन से ज्यादा हथियारबंद बदमाशों ने हमला कर दिया। आरोप है कि हमलावर लाठी-डंडों और पाइपों से लैस होकर घर में घुसे और परिवार को बेरहमी से पीटा। इस हमले में परिवार के छोटे बेटे देव बंशकार को गंभीर चोटें आईं, जबकि बड़ा बेटा दीपक छत की खपरैल निकालकर जान बचाने में कामयाब रहा। हालांकि, हमले के बाद से दीपक का कोई सुराग नहीं मिला है। घायल देव को नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पीड़ित परिवार की शिकायत है कि हमलावर जातिगत गालियां देते हुए घर पर कब्जा करने की धमकी दे रहे थे। उनका आरोप है कि इस हमले में जित्तू यादव, भैया जी यादव, अमित पटेल, मनोज गौड़, बबीता बर्मन, धनराज, अभिषेक पटेल और आशु सहित कई लोग शामिल थे। हमले के बाद पीड़ित परिवार ने पुलिस से मदद की गुहार लगाई, लेकिन तिलवारा थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया। पीड़ित परिवार ने कई बार थाने के चक्कर लगाए, परंतु पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। मजबूर होकर उन्होंने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई है।
परिवार की मुखिया विनीता बंशकार ने बताया कि बदमाशों ने न केवल उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, बल्कि जान से मारने की धमकी भी दी। हमलावरों के डर से परिवार दहशत में है। इसके बावजूद पुलिस ने अब तक न तो एफआईआर दर्ज की और न ही आरोपियों को गिरफ्तार करने की कोशिश की।
यह मामला पुलिस प्रशासन की लापरवाही और दलितों के प्रति संवेदनहीनता को उजागर करता है। पीड़ित परिवार न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है, जबकि स्थानीय पुलिस रसूखदार आरोपियों के दबाव में निष्क्रिय बनी हुई है। संवेदनशील मामलों में पुलिस की इस तरह की उदासीनता से न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठते हैं, बल्कि पीड़ितों का न्याय व्यवस्था पर से भरोसा भी कम होता है।
सरकार और पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वे तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करें, एफआईआर दर्ज करें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। साथ ही, पीड़ित परिवार को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। इस घटना ने समाज में जातिगत भेदभाव और कमजोर वर्गों के प्रति हिंसा की कड़वी सच्चाई को फिर उजागर किया है।
सुनील सेन सेट न्यूज जबलपुर, 7974423030