जबलपुर में सीनियर डाॅक्टर की डेंगू से हुई मौत,निजी अस्पताल में करवाया था भर्ती

मध्यप्रदेश में डेंगू सप्ताह के बीच एक बुरी खबर आई है। जबलपुर के सीनियर डाॅक्टर की डेंगू से जान चली गई है। रेडियोलाॅजिस्ट डाॅक्टर गोपाल पोल की मंगलवार को मौत हो गई। वो बीते कुछ दिनों से बीमार थे, जिन्हें इलाज के लिए शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इलाज के दौरान उनकी रिपोर्ट डेंगू पाजीटिव आई थी। डाॅक्टरों की टीम लगातार उनके संपर्क में थी, इसके बाद भी उनकी जान को नहीं बचाया जा सका। इधर डेंगू से डॉक्टर की मौत के बाद अब स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। डाॅ गोपाल पोल का इलाज कर रहे डाॅक्टरों ने बताया कि डेंगू की प्रारंभिक रिपोर्ट नेगेटिव आई थी, लेकिन डेंगू के लक्षण दिख रहे थे।
वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर गोपाल पोल कि डेंगू से मृत्यु, जिले में डेंगू से होने वाली पहली मौत है। डाॅक्टरों के मुताबिक डेंगू के लक्षण नजर आने के बाद तुरंत ही उनका इलाज शुरू कर दिया था। 2024 में भी जिले में डेंगू के कई मामलों में तेज वृद्धि देखी गई थी। डेंगू का बुखार वायरस चार सेरोटाइप्स (DEN-1, DEN-2, DEN-3, और DEN-4) में आता है, और एक सीरोटाइप से संक्रमित होने के कारण दूसरों के खिलाफ इम्यूनिटी प्रदान नहीं करता है। ऐसे में जब डेंगू तेजी से फैल रहा है, तो उससे बचाव की जानकारी रखना भी जरूरी है।
कैसे करें बचाव
रुक-रुककर हो रही बारिश और उमस भरी गर्मी के कारण मच्छरों की गतिविधियां बढ़ जाती है, जिससे डेंगू के मरीजों की संख्या में इजाफा होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक बारिश के रुकने के बाद जैसे ही पानी जमा होने लगता है, तो इसमें मच्छरों का लार्वा तेजी से पनपता है, यही वजह है कि जुलाई,अगस्त और सितंबर का महीना डेंगू के लिए संवेदनशील माना जाता है। इन दिनों डेंगू के मरीजों की संख्या सामान्य रूप से बढ़ती है। डेंगू के रोकथाम के लिए पानी को कहीं भी जमा नहीं होने दे। पूरे बाजू के कपड़े पहनें, और मच्छरदानी का प्रयोग करें।
डेंगू के सामान्य लक्षण क्या हैं
1. बुखार: डेंगू संक्रमण का प्रारंभिक संकेत अक्सर अचानक और तेज बुखार होता है.
2. सिरदर्द: गंभीर सिरदर्द, जिसे अक्सर “डेंगू सिरदर्द” कहा जाता है, एक प्रचलित लक्षण हैं.
3. जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द: डेंगू अक्सर जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द पैदा कर सकता है.
4. स्किन प्रोब्लम्स: बुखार की शुरुआत के कुछ दिनों बाद एक दाने निकल सकते हैं.
5. थकावट और कमजोरी: डेंगू बुखार के कारण कई हफ्तों तक थकान और कमजोरी हो सकती है.
6. हेमोरेजिंग: डेंगू नाक, मसूड़ों या त्वचा के नीचे से ब्लीडिंग को प्रेरित कर सकता है.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर संजय मिश्रा ने बताया कि जब तक एलिसा टेस्ट में डेंगू पॉजिटिव नहीं आता, तब तक इसे डेंगू नहीं माना जाना चाहिए, हालांकि, प्रारंभिक जांच के आधार पर ही कई अस्पताल डेंगू घोषित कर देते हैं, जो सही नहीं है. इससे न केवल मरीजों में डर बढ़ता है, बल्कि सही आंकड़े भी सामने नहीं आ पाते हैं।