जबलपुर: संतोष रूपी तप की मूर्ति हैं सुदामा, ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी,गुरु पूर्णिमा महोत्सव के सप्तम दिवस पर श्रीकृष्ण लीला के गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों का हुआ दिव्य वर्णन

जबलपुर। गुरु पूर्णिमा महोत्सव के पावन अवसर पर बगलामुखी सिद्धपीठ शंकराचार्य मठ में आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के सप्तम दिवस पर पूज्य ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी महाराज ने श्रद्धालु जनों को श्रीकृष्ण के 16,108 विवाहों के गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों का रहस्योद्घाटन करते हुए कहा कि उपासना के मंत्र ही भगवान की पत्नियां हैं। यह विवाह सांसारिक नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा की उपासना से जुड़ी दिव्य भावना का प्रतीक हैं। ब्रह्मचारी जी ने नृग चरित्र के माध्यम से दान की महिमा को रेखांकित करते हुए कहा कि दान में सावधानी अति आवश्यक है, अन्यथा वही पुण्य पाप में परिवर्तित हो सकता है।
निष्कलंक श्रद्धा से भगवान का साक्षात्कार-
ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी महाराज ने पौण्ड्रक चरित्र के माध्यम से समझाते हुए बताया कि ईश्वर के प्रति द्वेषपूर्ण छद्म भक्ति आत्मा को विनाश की ओर ले जाती है। ऊषा अनिरुद्ध प्रसंग में बताया गया कि भगवान श्रीकृष्ण ने बाणासुर के अभिमान का दमन किया। राजसूय यज्ञ और शिशुपाल वध की कथा में यह स्पष्ट किया गया कि यज्ञ समर्पण भाव से होता है और भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं यज्ञ में उपस्थित सभी महापुरुषों के पैर धोकर विनम्रता का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया।
सुदामा की भक्ति में भगवान भी रो पड़े-
सप्तम दिवस की कथा का हृदयस्पर्शी क्षण तब आया जब सुदामा चरित्र का वर्णन हुआ। ब्रह्मचारी जी ने कहा सुदामा संतोष, त्याग और तपस्या की सजीव मूर्ति थे। उन्होंने मित्रता के आदर्श को संसार के सामने रखा और प्रभु की भगवत्ता को अपने सरल जीवन से सिद्ध किया। जब सुदामा ने भगवान को चिउड़े भेंट किए, तो भगवान ने उनके चरण धोते समय आंखों से अश्रुधारा बहा दी।
नवयोगेश्वर, दत्तात्रेय, भृगु चरित्र की दिव्य झलक-
कथा में आगे नवयोगेश्वर, दत्तात्रेय चरित्र, भृगु जी की कथा, तथा परीक्षित मोक्ष प्रसंगों के माध्यम से बताया गया कि श्रद्धा, आत्मज्ञान और क्षमा से ही मोक्ष संभव है।
डॉ. इंदुभवानंद तीर्थ जी की विशेष उपस्थिति-
सप्तम दिवस के दिन की विशेषता यह रही कि परम पूज्य स्वामी डॉ. इंदुभवानंद तीर्थ जी महाराज की प्रेरणादायक उपस्थिति में कथा मंडप का वातावरण और अधिक पावन हो गया। उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा का अवसर श्रीमद्भागवत श्रवण से वासना की समाप्ति और उपासना की शुरुआत का पर्व है।
व्यास पीठ पूजन और श्रद्धालु गणों की उपस्थिति-
कथा के समापन पर व्यास पीठ का पूजन राजेंद्र शास्त्री, भारत सिंह यादव, प्रिंस आहूजा, नंदकिशोर ठाकुर, भावना निगम, गीता पटेल, रिचा मिश्रा, प्रीति अग्रवाल, अंजना शुक्ला, गोविन्द प्रीति साहू, आराधना-आशीष चौकसे, अखिल तिवारी, तुलसी अवस्थी, पीयूष दुबे, सुनील गुप्ता, वैभव दुबे, अंकित दीक्षित, अभिषेक उपाध्याय, पुष्पेंद्र सिंह परिहार, शुभम चौरसिया, रोहित साहू, राहुल मौर्य, गौरव चौबे, आशीष चौकसे, विनोद अरोरा, नवीन यादव, रोहित तिवारी, सोनू कुरेले, मनोज सेन, सतेंद्र असाटी, शंकरलाल गुप्ता नेहा साहू, आशीष पांडे, शशांक मिश्रा, कमलेश सोनी, नरेश पूजा, गजब राम, नारायणसिंगर, पंकज दे, सुभाष कुदरहा, मनोज सेन आदि ने किया।
बगुलामुखी सिद्धपीठ शंकराचार्य मठ में गुरु पूर्णिमा महोत्सव
बगुलामुखी सिद्धपीठ शंकराचार्य मठ सिविक सेंटर मढ़ाताल में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर प्रातः काल ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी के मार्गदर्शन में प्रातः10 बजे से श्री गुरु पूजन तथा भंडारा आयोजित होगा तथा भक्तों द्वारा भी गुरु पूजन किया जाएगा साथ ही भक्तों द्वारा गुरु दीक्षा भी ली जाएगी। उपस्थिति की अपील भारत सिंह यादव, घनश्याम मिश्रा, मनोज सेन आदि ने की है।