SETNEWS Special # सुधा मूर्ति: समाजसेवा, साहित्य और सादगी की मिसाल, जन्म 19 अगस्त 1950, शिगगांव, कर्नाटक

 SETNEWS Special # सुधा मूर्ति: समाजसेवा, साहित्य और सादगी की मिसाल, जन्म 19 अगस्त 1950, शिगगांव, कर्नाटक
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सेटन्यूज़, सत्यजीत यादव। सुधा मूर्ति एक ऐसा नाम हैं जो भारत में सामाजिक सेवा, शिक्षा, और साहित्य की दुनिया में प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। उन्होंने एक साधारण जीवन जीते हुए असाधारण योगदान दिए हैं। एक लेखिका, इंजीनियर, शिक्षक और परोपकारी के रूप में।

सुधा मूर्ति का जन्म 19 अगस्त 1950 को एक मध्यमवर्गीय कन्नड़ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम बीवी डोडामनी और पिता का नाम डॉ. आरएच कुलकर्णी था। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई में प्रथम स्थान प्राप्त कर भारत की पहली महिला इंजीनियरिंग टॉपर में अपना नाम दर्ज कराया। इसके बाद उन्होंने आईआईएससी बेंगलुरु से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की।

करियर की शुरुआत और पहला संघर्ष
अपने करियर की शुरुआत में सुधा मूर्ति ने TATA मोटर्स (पूर्व में TELCO) में नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन महिला होने के कारण उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया। इस भेदभाव के खिलाफ उन्होंने कंपनी को एक जोरदार पत्र लिखा, जिसने प्रबंधन का नजरिया बदल दिया और अंततः उन्हें नौकरी मिल गई। वे भारत की पहली महिला इंजीनियर बनीं जिन्हें टाटा मोटर्स ने नियुक्त किया, और यह कदम देश की कॉर्पोरेट दुनिया में महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गया।

लेखन की दुनिया में प्रवेश
सुधा मूर्ति सरल, सहज और प्रेरणादायक लेखन शैली के लिए जानी जाती हैं। उनके उपन्यास, कहानियाँ, बाल साहित्य और संस्मरणों में सामाजिक मूल्य, भारतीय संस्कृति, और मानवीय संवेदनाओं की गहराई से झलक मिलती है, जो पाठकों के दिलों को छू जाती है।

प्रमुख किताबें
सुधा मूर्ति ने कई प्रसिद्ध और प्रेरणादायक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें Wise and Otherwise, The Old Man and His God, Three Thousand Stitches, How I Taught My Grandmother to Read, और Dollar Bahu शामिल हैं। खास बात यह है कि Dollar Bahu को इतना सराहा गया कि इसे टीवी सीरियल के रूप में भी रूपांतरित किया गया।

सामाजिक सेवा और इन्फोसिस फाउंडेशन
सुधा मूर्ति Infosys Foundation की चेयरपर्सन रही हैं, और उनके नेतृत्व में फाउंडेशन ने ग्रामीण भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य, पुस्तकालयों और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हजारों सामाजिक परियोजनाएं चलाईं। उन्होंने सैकड़ों स्कूल, अस्पताल, छात्रावास, शौचालय और विज्ञान केंद्र बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया।

सम्मान और पुरस्कार
सुधा मूर्ति के योगदान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। उन्हें 2006 में पद्मश्री, RK नारायण पुरस्कार, और कर्नाटक सरकार द्वारा अत्तिमब्बे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से मानद उपाधियाँ भी प्रदान की गई हैं।

व्यक्तिगत जीवन
सुधा मूर्ति का व्यक्तिगत जीवन भी प्रेरणादायक रहा है। वे नारायण मूर्ति (इन्फोसिस के सह-संस्थापक) की पत्नी हैं। उनके दो बच्चे हैं, जिनमें अक्षता मूर्ति, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी हैं।

सुधा मूर्ति एक ऐसी हस्ती हैं जिनकी कहानी हमें बताती है कि सीमित संसाधनों में भी असीमित प्रभाव डाला जा सकता है। वे एक ऐसी “साइलेंट वॉरियर” हैं जो शिक्षा, सेवा और शब्दों के ज़रिए समाज को बेहतर बना रही हैं। उनका जीवन स्वयं एक प्रेरणादायक पुस्तक है। सरल लेकिन शक्तिशाली।

satyajeet yadav

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