जबलपुर: स्मार्ट सिटी अस्पताल संचालक अमित खरे निकला सजायाफ्ता! पुलिस व स्वास्थ्य विभाग दोनों सक्रिय, राजनैतिक आकाओं की शरण में दे रहा दस्तक

जबलपुर। शहर में स्वास्थ्य सेवाओं पर कब्जा जमाने वाले कथित अस्पताल माफिया डॉ. अमित खरे की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में हुए एम्बुलेंस चालक पर हमले के मामले में जब उसका नाम सामने आया, तो पुलिस रिकॉर्ड ने बड़ा खुलासा कर दिया। अस्पताल संचालक खरे पहले से ही सजायाफ्ता रह चुका है। यह तथ्य अब आधिकारिक रूप से पुलिस अभिलेखों में दर्ज है।
पुलिस और स्वास्थ्य विभाग दोनों सख्त खरे की कार्यप्रणाली और फर्जीवाड़ों का पुराना इतिहास सामने आने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग भी सक्रिय हो गया है। पहले एप्पल अस्पताल में हुए घोटाले से लेकर गरीब मरीजों के आयुष्मान कार्ड के दुरुपयोग तक, खरे के खिलाफ पुराने फाइलों की धूल झाड़ी जा रही है। सूत्र बताते हैं कि विभाग उसकी लाइसेंसिंग और रजिस्ट्रेशन की पुनः जांच की तैयारी कर रहा है।
राजनीतिक रसूख का कवच-
हालांकि दूसरी ओर, अमित खरे अपने राजनीतिक रसूख का खुलेआम ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा है। वह पड़ोसी जिले के एक पूर्व राज्य मंत्री और उनके केंद्रीय मंत्री भाई का नाम लेकर पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को खुली चुनौती देता नजर आ रहा है। यही वजह है कि कार्रवाई की राह आसान नहीं दिख रही।
मुख्यमंत्री की अग्निपरीक्षा-
अब सबसे बड़ा सवाल प्रदेश की सियासत और प्रशासनिक साख पर खड़ा हो गया है। क्या मुख्यमंत्री मोहन यादव के राज में ऐसे प्राइवेट अस्पताल माफियाओं पर वाकई शिकंजा कसेगा या फिर उन्हें राजनीतिक छत्रछाया में बख्श दिया जाएगा?
जनता की निगाहें इसी पर टिकी हैं।
एम्बुलेंस चालक पर हमला यह दिखाने के लिए काफी है कि अस्पताल संचालक और उनके गुर्गे मरीजों की जिंदगी को भी सौदेबाजी का औजार बना रहे हैं। अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई तो यह साफ संदेश जाएगा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं पर माफिया का राज कायम है और सरकार मौन धारण कर बैठी हैं।