कहानी उस प्रदेश की, जहां 75 सालों में हुए सिर्फ तीन हिन्दू CM, भारत-पाक के PM और राष्ट्रपति से भी कनेक्शन

 कहानी उस प्रदेश की, जहां 75 सालों में हुए सिर्फ तीन हिन्दू CM, भारत-पाक के PM और राष्ट्रपति से भी कनेक्शन
SET News:

इन दिनों चुनावी मौसम है और अगले महीने की शुरुआत में ही देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और गोवा में सत्ता किसके हाथों होगी, ये पता लग जाएगा। चुनाव से जुड़ी खास खबरों के क्रम में आज हम आपके सामने लाए हैं एक ऐसे प्रदेश की कहानी, जहां पिछले 56 साल से एक भी हिन्दू सीएम नहीं बना। यही नहीं भारत और पाकिस्तान में रह चुके या मौजूदा प्रधानमंत्री का इस प्रदेश से खास कनेक्शन है। हम यहां जिक्र कर रहे हैं पंजाब की। किसानों की भूमि के रूप में जाना जाने वाले पंजाब के एक नहीं कई रोचक किस्से हैं। यह बात बहुत कम लोगों को मालूम होगी कि पंजाब में ही राष्ट्रपति शासन (आर्टिकल 356) की शुरुआत हुई थी।

आगामी 20 फरवरी को पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। पंजाब में मौजूदा सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। पंजाब में सीएम का चेहरे के रूप में आप ने भगवंत मान (सिख) को अपना उम्मीदवार तय किया है। वहीं, कांग्रेस पार्टी में चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू (दोनों सिख) के बीच टक्कर है। इसका फैसला राहुल गांधी 6 फरवरी को करेंगे। पंजाब कांग्रेस में हिन्दू चेहरा सुनील जाखड़ इस रेस से पहले ही बाहर हैं। जाखड़ एक रोज पहले इस संबंध में अपना दर्द सार्वजनिक भी कर चुके हैं कि हिन्दू होने के कारण उन्हें इस रेस से बाहर कर दिया गया।

ये तो रही आज की बात कि इस बार भी पंजाब को सिख चेहरा ही मिलने वाला है। वैसे देखा जाए तो पंजाब में सबसे ज्यादा आबादी सिखों की है। 58 फीसदी से ज्यादा आबादी सिखों की है जबकि 37 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर हिन्दू समुदाय के लोग हैं।

देश में पहला राष्ट्रपति शासन
चलिए अब 71 साल पहले चलते हैं। 1951 में पंजाब में कांग्रेस की सत्ता थी और गोपी चंद भार्गव के हाथों प्रदेश की कमान थी। बताया जाता है कि अंदरूनी कलह के कारण उन्हें पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा। उस वक्त किसी भी दल के पास बहुमत नहीं था इसलिए केंद्र सरकार को पहली बार राष्ट्रपति शासन (आर्टिकल 356) का इस्तेमाल करना पड़ा था। यहां राष्ट्रपति शासन 20 जून 1951 से 17 अप्रैल 1952 तक रहा। पंजाब में अब तक कुल 3510 दिनों तक 8 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है।

हरियाणा बनने के बाद से पंजाब को नहीं मिला हिन्दू सीएम
1966 में केंद्र सरकार ने पंजाब पुनर्गठन एक्ट के जरिए पंजाब का विभाजन किया और हरियाणा के रूप में एक अलग राज्य बनाया। इसमें कुछ क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के भी शामिल किए गए थे। उसके बाद से आज 56 साल हो चुके हैं, तब से पंजाब को कोई हिन्दू सीएम नहीं मिला।

पंजाब को मिले हैं तीन हिन्दू सीएम
पंजाब को 1966 से पहले तीन हिन्दू सीएम मिले हैं। तीनों कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे। सबसे पहले सीएम के रूप में गोपी चंद भार्गव, जिन्होंने तीन बार पंजाब की सत्ता संभाली थी। वे 15 अगस्त 1947 से 13 अप्रैल 1949, 18 अक्टूबर 1949 से 20 जून 1951 और 21 जून 1964 से 6 जुलाई 1964 तक तीसरे बार सीएम रहे। उनके अलावा कांग्रेस पार्टी के ही हिन्दू चेहरा भीम सेन सच्चर ने 13 अप्रैल 1949 को मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। वे इस पद पर सिर्फ 188 दिन ही रहे। हालांकि गोपी चंद के बाद भीम सेन को 1952 में एक बार फिर प्रदेश की कमान मिली। इस बार वे इस पद पर 3 साल 281 दिन रहे। हिन्दू सीएम के रूप में राम किशन ने 7 जुलाई 1964 को सत्ता संभाली। वे इस पद पर एक साल 363 दिन रहे।

पंजाब से भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रपति 
ज्ञानी जैल सिंह भारत के इकलौते सिख राष्ट्रपति थे। वे 1982 से 1987 तक देश के प्रथम नागरिक रहे। इनके कार्यकाल में ऑपरेशन ब्लू स्टार, इंदिरा गांधी की हत्या और सिख विरोधी दंगे हुए थे। उनका जन्म पंजाब के फरीदकोट (ब्रिटिश भारत) में हुआ था।

वहीं, पाकिस्तान की बात करें तो मोहम्मद जिया उल हक पड़ोसी राज्य के 6वें और चौथे फौजी तानाशाह रहे। उनका जन्म 1924 में पंजाब के जालंधर में हुआ था। वे 1978 से 1988 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।

पंजाब से भारत और पाक के पीएम का कनेक्शन
डॉ. मनमोहन सिंह के रूप में पंजाब ने भारत को दो बार प्रधानमंत्री दिया। वे 2004 से 2014 तक पीएम पद पर रहे। उनका जन्म गाह में हुआ था जो अब पाकिस्तान के पंजाब का हिस्सा है। वहीं, पाकिस्तान की बात करें तो मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान का ताल्लुक पंजाब के जालंधर से है। उनकी मां शौकत खानम का जन्म जालंधर में हुआ था। भारत-पाक विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान चले गया था।

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