MP की टॉप वैक्सीनेटर महिलाएं:कोई आखिरी वक्त में पिता का चेहरा भी नहीं देख पाई, तो किसी ने 3 साल के बच्चे को छोड़कर अपना फर्ज निभाया

मैं सिवनी जिला अस्पताल की स्टाफ नर्स हूं। मेरा नाम वर्षा रानी ठाकुर है। मैं 16 जनवरी 2021 से ही काेविड वैक्सीनेशन में जुट गई थी। वैक्सीन लगने की जब शुरुआत हुई, तब लोग टीका लगवाने से डरते थे। लोग लड़ने-झगड़ने पर उतारू हो जाते थे। फिर भी इन चुनौतियों का सामने करते हुए लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित किया। डोर टू डोर वैक्सीनेशन के दौरान लोग दरवाजा बंद कर लेते थे। कई बार लड़ाई हुई, लेकिन फिर भी हमने हिम्मत नहीं हारी। एक लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई। इस दौरान मेरे साथ एक घटना हुई जिसे मैं कभी नहीं भूल सकती। 18 मार्च को मेरे पापा की हार्ट अटैक से डेथ हो गई थी, उस समय मैं ड्यूटी पर थी। मेरे पास कई फोन आए लेकिन मैं किसी का फोन नहीं उठा पाई। जब कॉल बैक किया तो पता चला पापा नहीं रहे। मैं आखिरी वक्त में पापा का चेहरा भी नहीं देख पाई।
1 ऐसी ही चार और महिलाएं हैं, जिन्होंने कोरोना संकट में वैक्सीनेशन करते हुए रिकॉर्ड कायम किया है। पढ़िए उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी
2. रीता पतवार: परिवार में शादियां छोड़ी, टीकाकरण नहीं
रीवा के श्यामशाह मेडिकल कॉलेज की स्टाफ नर्स रीता पतवार। अब तक 93 हजार वैक्सीन लगाकर MP के टॉप वैक्सीनेटर्स में दूसरे नंबर पर हैं। रीता ने बताया कि जब से कोविड टीकाकरण की शुरुआत हुई है, तब से तीज-त्योहार, घर परिवार के आयोजनों को छोड़कर में वैक्सीनेशन में लगी हूं। पहले आम लोगों को तैयार करना बड़ी चुनौती थी। फिर गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगाने में बड़ी परेशानी आई। लेकिन हौसला कम नहीं हुआ। परिवार में कई शादियां हुईं। कुछ सदस्य बीमार हुए। बावजूद इसके मैंने टीकाकरण नहीं छोड़ा। हमेशा यही लगा कि लोगों को कोविड से कैसे सुरक्षित किया जाए।
3. आकांक्षा लायल: डर के माहौल में घर-घर जाकर टीके लगाए
मार्च 2021 से टीका लगाने वाली हायर्ड वैक्सीनेटर आकांक्षा लायल दमोह के शहरी क्षेत्र में टीका लगाती थीं। घर-घर जाकर रोज 500 टीके लगाए। कई बार 800 डोज लगाए। लोगों के सवालों के जवाब देना मुश्किल था। गुस्से और डर का माहौल था। उस समय यह पता नहीं था कि वैक्सीन कितनी कारगर है। लोगों को समझाने में वक्त गुजर जाता था। लोगों में इस बात का डर था कि वैक्सीन लगवाने के बाद मर जाते हैं। यह डर निकाला। NHM में CHO (कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर ) का फाॅर्म भरा था। एडमिट कार्ड आ गया था। मैं एग्जाम नहीं दे पाई।
4. ऊषा विमल: दिव्यांग ANM ने बीहडों में बनाया रिकाॅर्ड
कभी डाकुओं से प्रभावित रहे चंबल के बीहडों में स्वास्थ्य सेवाएं देने वाली एक ANM ने टॉप -5 वैक्सीनेटर्स में अपना नाम दर्ज कराया है। छडी के सहारे चलने वाली ANM ऊषा विमल ने 66,241 टीके लगाकर प्रदेश में चौथा स्थान हासिल किया है। कुछ समय तक भिंड जिला अस्पताल में टीके लगाए। उसके बाद लोग कम आने लगे। टारगेट पिछड़ने लगा तो स्कूलों में जाकर टीके लगाए। खुद टेबल कुर्सी लेकर आशा आंगनवाडी कार्यकर्ता के साथ मोहल्ले में जाकर टीके लगाए। छड़ी के सहारे चलने वाली ANM को आने-जाने में पति ने मदद की।
5. गायत्री श्रीवास्तव: तीन साल के बच्चे को छोड़कर वैक्सीनेशन में जुटी रही
MP की टॉप वैक्सीनेटर्स में पांचवें नंबर की हेल्थवर्कर के तौर पर भोपाल के वार्ड 54 की ANM गायत्री श्रीवास्तव ने कीर्तिमान बनाया है। गायत्री बताती हैं कि गांवों की तरह शहर में बड़ी चुनौतियां तो नहीं थीं, लेकिन शुरुआती दौर में वैक्सीन लगाना ही बड़ी चुनौती थी। मैं सुबह नौ बजे घर से निकलती थी। कभी ये पता नहीं होता था कि वापस घर कब पहुंचेंगे। तीन साल के बेटे को छोड़कर लगातार वैक्सीनेशन करना बहुत बड़ा चैलेंज था। लेकिन इस आपदा से पार पाना सबसे बड़ी प्राथमिकता थी। मुझे खुशी है कि इस चुनौती को हम सबने स्वीकार कर सफलता पाई है।
वैक्सीनेटर का नाम | जिला | स्वास्थ्य संस्था का नाम | वैक्सीन डोज लगाए |
वर्षा ठाकुर | सिवनी | सिवनी अर्बन | एक लाख |
रीता पतवार | रीवा | रीवा मेडिकल कॉलेज | 93296 |
आकांक्षा लायल | दमोह | दमोह शहरी | 82063 |
ऊषा विमल | भिंड | जिला अस्पताल | 66241 |
गायत्री श्रीवास्तव | भोपाल | वार्ड 46 | 65000 |