MP PEB: दस साल में एमपी व्यापम ने कमाए एक हजार करोड़ रुपये, खर्च किए 502 करोड़

मध्य प्रदेश में भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं के माध्यम से प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (व्यापम) पिछले दस साल में अभ्यर्थियों से एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की फीस ले चुका है। जबकि, खर्च की बात करें तो यह 502 करोड़ रुपये रहा है। यह जानकारी सरकार ने मंगलवार को कांग्रेस के विधायक जीतू पटवारी के प्रश्न के उत्तर में दी। पटवारी ने बताया कि व्यापम परीक्षा फीस के नाम पर बेरोजगारों से करोड़ों रुपये की कमाई कर रहा है। परीक्षा के बाद नौकरी मिलने की कोई गारंटी भी नहीं है।
तकनीकी शिक्षा मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने लिखित उत्तर में बताया कि व्यापम के अलग-अलग पांच बैंक खातों में 404 करोड़ रुपये से अधिक जमा हैं। वर्ष 2017 में 15 परीक्षाएं आयोजित हुई थीं। इनमें 36 लाख 64 हजार से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए। सबसे ज्यादा फीस पटवारी, पुलिस, जेल प्रहरी और शिक्षक भर्ती में व्यापम को प्राप्त हुई।
2011-12- 98,30
2012-13- 114,15
2013-14- 91,20
2014-15- 85,36
2015-16- 94,15
2016-17- 145,85
2017-18- 161,43
2018-18- 72,40
2019-20- 80,65
2020-21- 103,36
रिश्वतखोरी की शिकायत 289 प्रतिशत बढ़ी
बजट चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। वर्ष 2020 में सिर्फ 118 लोगों ने रिश्वतखोरी की शिकायत की थी, लेकिन यह अब बढ़कर 341 हो गई है, यानी 289 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सौ से ज्यादा आइएएस, आइपीएस और आइएफएस के विरुद्ध अनियमितता के मामले आर्थि अपराध प्रकोष्ठ में चल रहे हैं। वहीं, बाला बच्चन ने कहा कि पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को सरकार छात्रवृत्ति तक नहीं दे पा रही है। अनुसूचित जाति के आठवीं तक के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति 11 करोड़ रुपये घटा दी। स्वरोजगार योजनाओं का अनुदान अभी तक नहीं दिया गया है।
आज ही पूरा हो सकता है बजट सत्र
25 मार्च तक प्रस्तावित विधानसभा का बजट सत्र बुधवार को ही पूरा हो सकता है। दरअसल, विस सचिवालय ने एक ही दिन में सभी विभागों की अनुदान मांगों को कार्यसूची में शामिल कर लिया है। वित्त मंत्री बजट पर सामान्य चर्चा का उत्तर देने के साथ विनियोग और वित्त विधेयक भी प्रस्तुत करेंगे। आठ ध्यानाकर्षण सूचनाएं भी कार्यसूची में शामिल की गई हैं।