कम आबादी वाले 9 राज्यों की रिपोर्ट:6 राज्यों में हिंदू 6% तक घटे; पंजाब में सिख 2% और लद्दाख में बौद्ध 9% कम हुए

सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता ने याचिका दायर करके कम आबादी वाले राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग की है। इसके बाद से ही इस पर राजनीतिक गहमागहमी का दौर शुरू हो गया है। इसके बीच में भास्कर ने 2001 और 2011 की जनगणना पर रिसर्च किया तो चौकाने वाली जानकारी सामने आई है। कम आबादी वाले 9 राज्यों में से 6 में हिंदुओं की आबादी घटी है। वहीं, जिस पंजाब में सिख बहुसंख्यक हैं, वहां उनकी आबादी दो प्रतिशत कम हुई और लद्दाख के बहुसंख्यक बौद्ध 9 प्रतिशत कम हुए हैं।
कम आबादी वाले 9 राज्यों लद्दाख, मिजोरम, पंजाब, मणिपुर, नगालैंड, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल, लक्षदीप, मेघालय में हिंदुओं को अल्प संख्या देने के मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को 6 हफ्ते के लिए टाल दी है। देश की कुल आबादी में भले 80% हिंदू हों, लेकिन हमारे 9 राज्य ऐसे भी हैं, जहां हिंदू आबादी 3 से 38% के बीच ही है। इन 9 में से 6 राज्य जम्मू-कश्मीर, लक्षद्वीप, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल में 2001 से 2011 के बीच कुल आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी 6% तक कम हुई है। जबकि, मुस्लिमों व ईसाइयों की हिस्सेदारी बढ़ी है। मगर यहां हिंदुओं को अल्पसंख्यक नहीं माना जाता है और न ही उससे जुड़ी सुविधाओं का कोई लाभ दिया जाता है।
सिख-बौद्ध आबादी भी घटी
2001 में पंजाब में सिख आबादी 60% थी, जो 2011 में घटकर 58% रह गई है। वहीं, लद्दाख में 2001 में बौद्ध आबादी 77% थी, जो 2011 में घटकर 66% ही रह गई है। वहीं, कम हिंदू आबादी वाले राज्यों में सिर्फ पंजाब, लद्दाख और नगालैंड में ही 2001 के मुकाबले 2011 में हिंदू आबादी की हिस्सेदारी बढ़ी है। लद्दाख में यह बढ़ोतरी सर्वाधिक 9% और पंजाब-नगालैंड में 1-1% है।
यूं समझें… क्यों चाहिए अल्पसंख्यक का दर्जा
- अल्पसंख्यक दर्जे के क्या लाभ: अपनी पसंद से शैक्षणिक संस्थान की स्थापना और संचालन कर सकते हैं। घर, रोजगार, पुनर्वास, कर्ज, बच्चों व गर्भवती महिलाओं से जुड़ी योजना का लाभ ले सकते हैं।
- दर्जा न मिलने से क्या घाटा: बतौर उदाहरण- 2007-08 में अल्पसंख्यकों के लिए 20 हजार छात्रवृत्तियां निकलीं। कश्मीर को 753 मिली। इनमें 717 मुस्लिमों को, जबकि वहां वे बहुसंख्यक थे।
- सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था: 2017 में कहा था- धर्म की सीमा नहीं होती। इसे देश के स्तर पर देखें, न कि राज्य के।
केंद्र ने कहा- राज्य सरकारों को अधिकार है
भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग की है कि जिन राज्यों में हिंदुओं की संख्या कम है, वहां उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए। केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कोर्ट में अपने जवाब में कहा है- राज्य सरकारें अपनी सीमा में हिंदुओं या किसी भी धार्मिक और भाषाई समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित कर सकती हैं। महाराष्ट्र ने यहूदियों और कर्नाटक ने उर्दू, तेलुगु, तमिल, मलयालम, मराठी आदि भाषाओं को अल्पसंख्यक भाषा का दर्जा दिया है।