1440 फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजी मां सिंहवाहिनी:सागर के बरकोटी में ब्रिटिशकाल में हुई स्थापना, 379 सीढ़ियां चढ़कर भक्त करते हैं दर्शन

 1440 फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजी मां सिंहवाहिनी:सागर के बरकोटी में ब्रिटिशकाल में हुई स्थापना, 379 सीढ़ियां चढ़कर भक्त करते हैं दर्शन
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सागर से 40 किलोमीटर दूर गौरझामर के पास बरकोटीकलां में 1440 फीट ऊंची पहाड़ी पर मां सिंहवाहिनी विराजी हैं। यह पहाड़ी जिले की दूसरी सबसे ऊंची पहाड़ी मानी जाती है। यहां ब्रिटिश काल में माता की मूर्ति की स्थापना की गई थी। मान्यता है कि माता सिंहवाहिनी के दरबार में पहुंचकर जो भी मुराद मांगी जाती है वह पूरी होती है। इसलिए नवरात्र में यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।

मंदिर के पुजारी सुशील तिवारी बताते हैं कि ब्रिटिश काल में पहाड़ी पर मूर्ति की स्थापना की गई थी। पहले यहां छोटा सा मंदिर हुआ करता था। घना जंगल होने से कम लोग ही पहाड़ी पर आते थे, लेकिन समय के साथ पहाड़ी पर मंदिर का विस्तार हुआ और अब हजारों लोग माता के दर्शनों के लिए आते हैं। नवरात्रि में मंदिर में मां के भक्त जवारे लगाते हैं। वहीं, नौ दिनों तक मंदिर परिसर में मेला लगता है। पुजारी बताते हैं कि मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे भाव से माता से अपनी मनोकामना मांगते हैं वह पूरी होती है।379 सीढ़ियां चढ़कर भक्त पहुंचते हैं मंदिर
प्राकृतिक सौंदर्य के बीच विराजी मां सिंहवाहिनी के दरबार तक पहुंचने के लिए बरकोटी कलां गांव से सीढ़ियां बनाई गई हैं। जंगल के बीच पहाड़ी पर बने मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 379 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। वहीं, कुछ वर्ष पहले मंदिर तक वाहनों के लिए मार्ग का निर्माण कराया गया था। हालांकि वर्तमान में ये मार्ग जर्जर हालत में है।पहाड़ी के नीचे विराजे स्वयंभू मतंगेश्वर महादेव
बरकोटीकलां में स्वयंभू मतंगेश्वर महादेव का मंदिर है। यह कर्क रेखा पर स्थित है। यही वह स्थान है जो सागर जिले में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर मौजूद है। यहां स्वयंभू शिवलिंग और मंदिर प्राचीन हैं। पास में ही प्रसिद्ध रानगिर माता मंदिर है। वहीं कुछ दूरी पर नाहरमऊ में स्थित जिले की सबसे ऊंची पहाड़ी है, जिसे गढ़ पर्वत के नाम से जाना जाता है।

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