मध्यप्रदेश # होमगार्ड्स की ड्यूटी में दो माह का कॉल ऑफ देने पर हाईकोर्ट की रोक

 मध्यप्रदेश # होमगार्ड्स की ड्यूटी में दो माह का कॉल ऑफ देने पर हाईकोर्ट की रोक
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होमगार्ड रूल्स 2016 में किए गए संशोधन को चुनौती से जुड़ा मामला

जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने होमगार्ड्स की ड्यूटी में दो माह का कॉल ऑफ देने पर अंतरिम रोक लगा दी है। जस्टिस शील नागू और जस्टिस अवनिंद्र कुमार सिंह की खंडपीठ ने निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता होमगार्ड सैनिकों की सेवा जारी रखी जाए। न्यायालय ने याचिका को पूर्व से लंबित मामलों के साथ लिंक करते हुए शासन व अन्य से जवाब पेश करने के निर्देश भी दिए। उक्त मामले पर अगली सुनवाई 19 जून को होगी।
छिंदवाड़ा होमगार्ड्स में पदस्थ रामकुमार सिंह गौतम व अन्य सैनिकों ने याचिका दायर कर सरकार द्वारा 13 सितंबर 2022 को होमगार्ड रूल्स 2016 में किए गए संशोधन को चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विहाग दुबे ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि संशोधन के जरिए एक साल में दो माह के कॉल ऑफ को बदलकर 3 साल में 2 माह का कॉल ऑफ कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं को एक जुलाई से 31 अगस्त 2023 का कॉल ऑफ दिया गया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2010 में होमगार्डस कर्मचारियों द्वारा मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा याचिका दायर कर नियमितीकरण, आरक्षकों के समान वेतन, पूरे वर्ष कार्य प्रदान करने एवं अन्य अनुतोष की प्रार्थना की गई थी। वर्ष 2011 में हाईकोर्ट द्वारा आंशिक रूप से स्वीकार कर मध्य प्रदेश शासन को आदेशित किया था कि वे होमगार्डस की सेवा नियम बनाये एवं उन्हें पूरे वर्ष कार्य पर रखा जाए। इस आदेश को सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को यथावत रखा।
इसके बाद सरकार ने वर्ष 2016 में नियम बनाये और आदेश के विपरीत पुनः एक वर्ष में 2 माह का बाध्य काॅल ऑफ का प्रावधान रख दिया। इसे लेकर कई याचिकाएं उच्च न्यायालय में लंबित हैं। वर्ष 2020 में होमगार्ड विभाग द्वारा बाध्य काॅल ऑफ का आदेश जारी किया गया जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। उच्च न्यायालय ने विभाग के आदेश पर स्टे कर दिया। जब विभाग ने आदेश का पालन नहीं किया तो अवमानना याचिकाएं प्रस्तुत की गईं।

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