जबलपुर: फर्जी दस्तावेजों से आदिवासियों की जमीन की रजिस्ट्री करने वाले भूमाफिया पत्रकार गंगा पाठक को नहीं मिली जमानत

फर्जी दस्तावेजों से आदिवासियों की जमीन की रजिस्ट्री करने वाले भूमाफिया पत्रकार गंगा पाठक को नहीं मिली जमानत, सुनवाई के 16 दिन बाद हाईकोर्ट ने सुरक्षित फैसला सुनाया, सरेंडर करने के बाद जमानत पर किया जाएगा विचार
SET NEWS, जबलपुर। आदिवासियों की जमीनों के फर्जीवाड़े के आरोपों में पत्रकार से भूमाफिया बने गंगा पाठक और उनके चार आरोपी साथियों को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत देने से साफ इंकार कर दिया। यह फैसला जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने गुरूवार को सुनाया। अदालत ने सभी आरोपियों को दो टूक कहा कि जब वह सरेंडर करेंगे तभी उनकी नियमित जमानत की अर्जी पर विचार किया जाएगा। गौरतलब है कि आरोपी गंगा पाठक और उनके चारो अन्य आरोपी साथियों ने अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लगाई थी। 26 मई को सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित रखा गया था। सुनवाई के 16 दिन बाद हाईकोर्ट ने गुरूवार को अपना फैसला सुनाया।
ये था मामला-
गौरतलब है कि पत्रकार गंगा पाठक और उसकी पत्नी ममता पाठक के साथ अन्य आरोपियों के खिलाफ आदिवासियों की जमीनों के फर्जीवाड़े में जबलपुर के तिलवारा और बरगी थाने में अपराध 12 मार्च को दर्ज हुआ था, उसके बाद से ही ये आरोपी फरार चल रहे थे। गिरफ्तारी से बचने संजीव श्रीवास्तव, ओमप्रकाश त्रिपाठी, गंगा पाठक और उसकी पत्नी ममता पाठक ने अग्रिम जमानत अर्जियां दाखिल की थीं।
साजिश के तहत किया गया फर्जीवाड़ा-
अपने फैसले में अदालत ने कहा कि साजिश के तहत इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया। आदिवासियों की जमीनों की खरीद-फरोख्त की कोई परमीशन जिला कलेक्टर से नहीं ली गई। आदिवासियों के फर्जी भू अधिकार व ऋण पुस्तिका तैयार करके उन्हें डाउनलोड किया गया। उसमें फर्जी फोटोग्राफ्स लगाकर उस पर सील लगाकर हस्ताक्षर करके फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। इसके बाद फर्जी आधार कार्ड तैयार करके उसका इस्तेमाल रजिस्ट्री में किया गया। इस मामले में जिस तरह से फर्जीवाड़ा किया गया, उसे देखते हुए आरोपियों को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।
रजिस्ट्री के पहले हो चुकी दो की मौत-
अपने विस्तृत फैसले में अदालत ने कहा कि इस मामले में एक जमीन की रजिस्ट्री सरजू के नाम पर 20 मार्च 2020 को की गई, जबकि सरजू की मौत 5 जुलाई 2014 को हो गई थी। इसी तरह कल्लो बाई के नाम से उसकी जमीन की रजिस्ट्री ममता पाठक के नाम पर की गई, जबकि कल्लो बाई की मौत रजिस्ट्री के पहले हो गई थी।
विदेश में विक्रेता फिर हो गई रजिस्ट्री-
सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता अच्युतेन्द्र सिंह बघेल की दलील थी कि पहली रजिस्ट्री 10 जुलाई 2023 को हुई थी। उसमें विक्रेता के रूप में प्रदीप चौहान का नाम है, जबकि खरीददार ममता पाठक थी। इसकी रजिस्ट्री में गंगा पाठक खुद गवाह बना। खरीदी गई राशि का भुगतान चेक से किया गया। श्री सिंह ने कहा कि उक्त रजिस्ट्री के दौरान प्रदीप चौहान विदेश में था। जब वह रजिस्ट्री कार्यालय में मौजूद ही नहीं था, तब कैसे उसके नाम पर रजिस्ट्री हो सकती है।
अधिवक्ता बोले आदतन अपराधी है पाठक-
जमानत अर्जियों पर हुई सुनवाई के दौरान आपत्तिकर्ता पीड़ित आदिवासियों की ओर से अधिवक्ता शैलेंद्र वर्मा ने अदालत को बताया कि गंगा पाठक एक आदतन अपराधी है। वह सभी को खुद को दैनिक भास्कर का संपादक बताता है, जबकि वह है नहीं। उसने झूठ का सहारा लेकर यह जमानत अर्जी दाखिल की है। कई लोगों को ब्लैकमेल करने की शिकायतें भी पूर्व में पुलिस को की जा चुकी हैं। कुल 27 मामले हैं, जिनमें 27 आदिवासियों की जमीनों का फर्जीवाड़ा हुआ है।