जबलपुर: कलंक बना कुपुत्र, मां को मरने के बाद भी नहीं पहचाना! “मोक्ष” की टीम ने निभाया इंसानियत का धर्म, किया बुजुर्ग मां का अंतिम संस्कार

 जबलपुर: कलंक बना कुपुत्र, मां को मरने के बाद भी नहीं पहचाना! “मोक्ष” की टीम ने निभाया इंसानियत का धर्म, किया बुजुर्ग मां का अंतिम संस्कार
SET News:

SET NEWS, जबलपुर। इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला जबलपुर से सामने आया है, जहां एक बुजुर्ग माँ की मौत के बाद उसका बेटा आने तक को तैयार नहीं हुआ। मां को पहचानने से भी इनकार कर दिया। ऐसे वक्त में जब अपनों ने मुंह मोड़ा, तब मोक्ष मानव सेवा समिति की टीम ने आगे बढ़कर अंतिम जिम्मेदारी निभाई और बुजुर्ग मां का अंतिम संस्कार ससम्मान किया। कैलाशपुरी में रहने वाली 50 वर्षीय यशोदा ठाकुर पिछले पांच वर्षों से किराए के मकान में अकेली रह रही थीं। पति का पहले ही देहांत हो चुका था, और उनका इकलौता बेटा भारत ठाकुर जो विजयवाड़ा में नौकरी करता है, मां से वर्षों से अलग था।

हालत बिगड़ने पर कराया भर्ती-
गुरुवार को तबीयत बिगड़ने पर पड़ोसियों ने यशोदा को मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया। समाजसेवी आशीष ठाकुर और उनके सहयोगियों ने मेडिकल में यशोदा को भर्ती करवाया, जहां उन्होंने दोपहर करीब 2 बजे अंतिम साँस ली।

मेरा कोई वास्ता नहीं-
अस्पताल प्रशासन द्वारा बेटे को फोन पर मां की मृत्यु की सूचना दी गई, लेकिन उसने न केवल आने से मना किया, बल्कि फोन पर यह भी कह दिया कि “मुझे कोई वास्ता नहीं, मैं नहीं जानता किसी यशोदा को।” इसके बाद उसने फोन उठाना ही बंद कर दिया। जब बेटा मुंह मोड़ गया, तब मोक्ष सेवा समिति की टीम ने चौहानी श्मशान घाट पर यशोदा का अंतिम संस्कार किया और मुखाग्नि देकर अंतिम विदाई दी।

रिश्तों की बेरुखी उजागर-
इस मार्मिक घटना ने रिश्तों की बेरुखी को उजागर कर दिया है। एक मां जो बेटे के लिए जीवनभर संघर्ष करती रही, आखिर में उसके ही द्वारा अनदेखी का शिकार हो गई।

jabalpur reporter

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