जबलपुर:देवी पार्वती ने बेलपत्र खाकर की कठिन तपस्या-ब्रह्मचारी श्री चैतन्यानंद जी,श्रावण मास के पावन अवसर पर शंकराचार्य मठ में शिव महापुराण कथा और रुद्री अभिषेक के साथ, आध्यात्मिक वातावरण में डूबे श्रद्धालु

 जबलपुर:देवी पार्वती ने बेलपत्र खाकर की कठिन तपस्या-ब्रह्मचारी श्री चैतन्यानंद जी,श्रावण मास के पावन अवसर पर शंकराचार्य मठ में शिव महापुराण कथा और रुद्री अभिषेक के साथ, आध्यात्मिक वातावरण में डूबे श्रद्धालु
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SET NEWS, जबलपुर। श्रावण मास की पावन बेला में श्री बगलामुखी सिद्ध पीठ शंकराचार्य मठ, सिविक सेंटर मढ़ाताल में चल रहे श्री शिव महापुराण कथा और असंख्य रुद्री पाठ (पार्थिव शिवलिंग निर्माण) कार्यक्रम में आज दिव्यता और भक्ति का अद्वितीय संगम देखने को मिला। कार्यक्रम में भगवान शिव के दिव्य चरित्रों की अनुपम व्याख्या के साथ ही श्रद्धालुओं ने पार्थिव शिवलिंगों का विधिवत दुग्धाभिषेक, पुष्प श्रृंगार एवं आरती में भाग लिया। शुक्रवार को तीसरे दिन कथा का केंद्र देवी पार्वती की कठोर तपस्या एवं भगवान शिव से उनका विवाह। कथा व्यास पूज्य ब्रह्मचारी श्री चैतन्यानंद जी महाराज ने भावविभोर कर देने वाले शब्दों में देवी सती से लेकर पार्वती बनने तक की कथा को विस्तार से प्रस्तुत किया।

संकल्प लेकर लिया जन्म-
उन्होंने बताया कि देवी सती, भगवान शिव की अर्धांगिनी थीं, परंतु उनके पिता दक्ष ने जब अपने यज्ञ में भगवान शिव का अपमान किया, तब सती ने आत्मदाह कर लिया। उन्होंने संकल्प लिया कि अगले जन्म में वे फिर से शिव को पति रूप में प्राप्त करेंगी। इसी संकल्प के फलस्वरूप उन्होंने राजा हिमालय और रानी मैना के घर देवी पार्वती के रूप में जन्म लिया।

तपस्या देखकर देवता भी हो गए चकित-
श्री चैतन्यानंद जी ने देवी पार्वती की तपस्या का अत्यंत मार्मिक चित्र प्रस्तुत करते हुए बताया कि उन्होंने प्रारंभ में फलाहार किया, फिर केवल पत्तों पर जीवित रहीं। अंत में उन्होंने बेलपत्र खाकर कठोर तपस्या की, जिससे उन्हें “अपर्णा” नाम मिला। उनकी तपस्या यहीं नहीं रुकी उन्होंने अग्नि, वर्षा और हिम जैसे विकट प्राकृतिक परिस्थितियों में तप किया। पांच अग्नियों के मध्य खड़े होकर, मूसलाधार वर्षा में शिला पर बैठकर, तथा कठोर सर्दी में तालाब के जल में गर्दन तक डूबकर भगवान शिव का ध्यान किया। उनकी ऐसी तपस्या से समस्त देवता भी चकित रह गए।

ब्रह्मा जी स्वयं बने पुरोहित-
अंततः भगवान शिव प्रकट हुए और देवी पार्वती से विवाह करने का वचन दिया। ब्रह्मा जी स्वयं पुरोहित बने और इस दिव्य युगल का विवाह संपन्न हुआ। यह विवाह न केवल दिव्य प्रेम का प्रतीक है, बल्कि यह समर्पण, साधना और श्रद्धा का भी सर्वोच्च उदाहरण है।

विवाह प्रसंग में भावविभोर हुए श्रद्धालु-
कथा में जब शिव-पार्वती विवाह प्रसंग आया, तो उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। पूरे वातावरण में “हर हर महादेव” और “जय पार्वती पतये हर हर महादेव” के जयघोष गूंज उठे। रुद्राभिषेक के साथ ही दीपों की ज्योति से मंडप प्रज्ज्वलित हो उठा।

यह रहे उपस्थित-
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पद्मा मेनन, नीता पटेल, संजय मिश्रा, प्राणेश व स्नेहलता पाण्डेय, आरती व नितिन सराफ, अमित जसूजा, विजय उषा कटारिया, जीनी व पंकज डे, शैलेन्द्र दुबे, वर्षा साहू, स्वर्णिम साहू, आर्यन पटेल, आशीष चौकसे, तुलसी अवस्थी, पीयूष दुबे, अंकित दीक्षित, वैभव दुबे, सुनील गुप्ता, पुष्पेंद्र सिंह परिहार, शुभम चौरसिया, गौरव चौबे, रोहित साहू, राहुल मौर्य, अभिषेक उपाध्याय, मीडिया प्रभारी मनोज सेन सहित सैकड़ों भक्तों की उपस्थिति रही।

jabalpur reporter

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