महीनों खराब नहीं रहेंगी मेडिकल कॉलेजों की मशीनें:18 हजार उपकरणों की मैपिंग कर लगाए बारकोड, ऑनलाइन कंप्लेन करते ही तुरंत होगा एक्शन, पढें पूरी खबर किन 6 शहरों में हुई शुरुआत

सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आने वाले मरीजों को अब डॉक्टर मशीन खराब होने का बहाना नहीं बना पाएंगे। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मशीनों के सालाना रखरखाव और सुधार कार्य (एनुअल/कॉम्प्रेहेंसिव मेंटेनेंस) के लिए मशीनों और उपकरणों की मैपिंग कराई है। इससे मेडिकल कॉलेजों के प्रत्येक इंस्ट्रूमेंट्स की कुंडली एक पोर्टल पर दर्ज हो गई है। हर उपकरण पर एक बारकोड और हेल्पलाइन नंबर का स्टीकर लगाया गया है। जैसे ही मशीन खराब होती है। उस विभाग का कर्मचारी टोल फ्री नंबर पर फोन करके मशीन का बारकोड बताएगा वैसे ही कंपनी के कॉल सेंटर पर उसकी कंम्प्लेन रजिस्टर हो जाएगी। इसके बाद बायोमेडिकल इंजीनियर उसकी जांच कर खामी के अनुसार रिपेयरिंग करेंगे।
किस मेडिकल कॉलेज में कितने उपकरण वर्किंग में नहीं
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने निर्देश पर तैयार किए गए इस सिस्टम को छह पुराने मेडिकल कॉलेजों में शुरू किया गया है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और सागर मेडिकल कॉलेजों में कुल 17975 उपकरणों की मैपिंग हुई है। इनमें 6298 उपकरण अभी वॉरंटी पीरियड़ में हैं यानि जिन कंपनियों ने यह उपकरण सप्लाई किए हैं वे इनका मेंटेनेंस और रिपेयरिंग का काम कर रहीं हैं। 11687 मशीनों की वारंटी खत्म हो चुकी है उनका मेंटेनेंस और रिपेयरिंग का काम नई कंपनी करेगी। उपकरणों के सुधार कार्य के लिए अधिकतम एक हफ्ते की समयसीमा तय की गई है। ओटी, पैथोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी लैब के उपकरण, आईसीयू के इंस्ट्रूमेंट, वेंटिलेटर, डिफ्रेब्रिलेटर, एनेस्थीसिया वर्कस्टेशन, डीआर सिस्टम, सीटी स्कैन सहित मेडिकल कॉलेजों में लगे सभी उपकरणों का मेंटनेंस और सुधार का काम हाइट्स कंपनी करेगी।
कैसे काम करेगा सिस्टम
चिकित्सा शिक्षा संचालनालय (डीएमई) में एक राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम बनाया गया है। मेडिकल कॉलेज में लगे हर उपकरण की डिटेल जानकारी मेन्युफेक्चरिंग डेट, मेडिकल कॉलेज में लगाने की तारीख, वॉरंटी पीरियड और वर्तमान कंडीशन सहित पूरी डिटेल पोर्टल पर दर्ज है। हर उपकरण के पीछे एक बारकोड चिपकाया गया है इसमें एक टोल फ्री नंबर भी लिखा है। कोई भी मशीन,उपकरण खराब होने की शिकायत दर्ज कराने की जिम्मेदारी उस विभाग के एचओडी, वार्ड इंचार्ज की होगी। कंपनी ने मेडिकल कॉलेजों के अनुसार तीन से छह बायोमेडिकल इंजीनियर्स की टीम तैनात की है। शिकायत दर्ज होते ही ये बायोमेडिकल इंजीनियर उसकी जांच कर रिपेयरिंग कर एक प्रपत्र में पूरी जानकारी दर्ज कर पोर्टल पर अपलोड करेंगे। इसके लिए स्टाफ को भी ट्रेनिंग दी गई है।
इससे मरीजों को होगा यह फायदा
हमीदिया, कमला नेहरू सहित प्रदेश के दूसरे मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में अक्सर मशीनें खराब होने की बात कहकर मरीजों को बाहर से जांच कराने के लिए भेज दिया जाता है। अब मशीनें खराब होने का बहाना बनाने के बजाए वाजिब कारण बताना होगा। उपकरणों के समय पर रिपेयर होने से मरीजों को इलाज के लिए नहीं भटकना पडे़गा।
किस मेडिकल कॉलेज में कितने उपकरण
मेडिकल कॉलेज | कुल उपकरण | उपकरण वारंटी पीरियड में | बिना वारंटीवाले उपकरण |
भोपाल | 2679 | 582 | 2297 |
ग्वालियर | 2337 | 1258 | 1479 |
इंदौर | 4675 | 1641 | 3035 |
जबलपुर | 3135 | 1535 | 1600 |
रीवा | 1875 | 711 | 1164 |
सागर | 2674 | 562 | 2112 |
कुल | 17975 | 6289 | 11687 |
कहां कितने इंस्ट्रमेंट चालू हालत में नहीं
प्रदेश के छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 762 उपकरण चालू हालत में नहीं हैं। इनकी लिस्ट तैयार करके विभागों के जबअलएचओडी और डीन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी तय करेगी कि कंडम और बंद उपकरणों के लिए आगे क्या कार्रवाई करनी है। इंदौर मेडिकल कॉलेज में सबसे ज्यादा 257 उपकरण वर्किंग कंडीशन में नहीं हैं। रीवा में 188, सागर में 187, जबलपुर में 96, भोपाल में 19 और ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में 15 उपकरण चालू हालत में नहीं हैं।