Veterinary Department Jabalpur: जबलपुर में की ज्वाइंनिग और हो गए रिटायर, नहीं गए बाहर

वेटरनरी विभाग में नियम है कि वेटरनरी डाक्टर एक जिले में तीन साल से ज्यादा नहीं रह सकता पर यह नियम सिर्फ कागजों पर ही चल रहा है। वेटरनरी विभाग जबलपुर में पदस्थ होने वाले कई डाक्टर ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी पहली ज्वाइनिंग जबलपुर में दी और सालों यहा नौकरी कर सेवानिवृत्त भी हो गए। पशुपालन विभाग की गाइडलाइन भी फाइलों तक सीमित रह गई। जबलपुर शहर में अधिकांश वेटरनरी डाक्टर ने 10 साल से ज्यादा समय से यहां जमे हैं। विभाग की माने तो ऐसे लगभग शहर में 12 से 15 डाक्टर हैं, जिन्हें जब भी हटाने के लिए फाइल चलती है तो वो भोपाल से उसे रद करा देते हैं।
कहां हो रही गड़बड़ी: शहर की सीमा में लगभग 42 वेटरनरी डाक्टर हैं। इनमें से अधिकांश यानी 30 से ज्यादा शहर के आस-पास के ब्लाक में बने वेटरनरी अस्पताल में पदस्थ हैं, जहां सिर्फ सुबह हाजरी लगाने लाते हैं और फिर यहां पर पदस्थ एवीएफओ को सारी जिम्मेदारी सौंपकर अपनी प्रेक्टि्स करने के लिए डेयरी या फिर निजी पशुपालन संस्थान जाते है। शहर में कई अस्पताल न तो समय पर खुलता है और न ही समय पर बंद होता है। जानकारों के मुताबिक यहां पर पदस्थ डाक्टर अधिकांश शहर में रहते हैं। वे यहां अपडाउन करते हैं, इस वजह से कई बाद सुबह की बजाए दोपहर में यहां पहुंचते और चंद मिनट बाद लौट जाते हैं। इसको लेकर पशुपालन विभाग जबलपुर और भोपाल तक में शिकायत की, लेकिन हुआ कुछ नहीं। इसे लेकर तरह – तरह की चर्चाएं चलती रहती हैं। चर्चाओं का बाजार गर्म रहता है।
जबलपुर संभाग में 10 साल से ज्यादा समय तकर पदस्थ रहने वाले विभाग में लगभग 50 फीसदी वेटरनरी डाक्टर हैं। इनका स्थानांतरण करने से पूर्व एक सीमा तय की गई है। ताकि व्यवस्थाएं न बिगड़े।