शिवराज सरकार से पंगा लेने वाले IAS अफसर की कर्मकुंडली:देश का सबसे बड़ा ODF घोटाला खोला तो 1 महीने में हटाए गए; सलमान खान को भी थमाया था नोटिस

प्रदेश सरकार और IAS अफसर नियाज खान एक बार फिर आमने-सामने हैं। फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर बयान देकर नियाज खान फिर सुर्खियों में हैं। इसके बाद सरकार ने उन्हें नोटिस दे दिया है। खान इससे पहले भी अपने काम और अंदाज के कारण चर्चा में रह चुके हैं। नियाज खान वही अफसर हैं, जिन्होंने गुना अपर कलेक्टर रहते हुए देश का सबसे बड़ा ODF घोटाला खोला था। इसके एक महीने में ही उन्हें हटा दिया गया था।
नियाज ने ही गुना में एडीएम रहते हुए थम्सअप मिसब्रांड मामले में एक्टर सलमान खान, अक्षय कुमार और साउथ फिल्मों के हीरो महेश बाबू को नोटिस थमाया था। इसके बाद सलमान खान को सफाई देनी पड़ी थी। नियाज के 20 साल की नौकरी में 19 ट्रांसफर हो चुके हैं। जानिए, कौन हैं प्रदेश के IAS अफसर नियाज खान, जिन्होंने सरकार से पंगा लिया…
नियाज खान 2015 में गुना में अपर जिला कलेक्टर (ADM) थे। इस दौरान गुना के खाद्य एवं औषधि विभाग ने शीतल पेय पदार्थ थम्सअप के नमूने को जांच के लिए भोपाल की शासकीय लैबोरेटरी में भेजा था। जांच में सामने आया कि थम्सअप ने बोतल पर फ्लेवर की जानकारी प्रिंट नहीं की है, जो पेय पदार्थ मानकों का उल्लंघन है। खाद्य विभाग की तरफ से यह मामला एडीएम कोर्ट में भेजा गया। कंपनी के नॉमिनी राजकुमार तिनकर क्वालिटी एश्योरेंस मैनेजर मप्र व अनित कुमार पाल क्वालिटी एश्योरेंस मैनेजर गुजरात व रुठियाई अग्रवाल ट्रेडर्स के अनिल अग्रवाल को आरोपी बनाया था।
मामला सामने आने के बाद उन्होंने बॉलीवुड स्टार सलमान खान, अक्षय कुमार और साउथ के कलाकार महेश बाबू को भी थम्सअप का प्रचार करने पर नोटिस भेजा था। मामले में सलमान खान की तरफ से कोर्ट में जवाब पेश किया गया था।
ODF घोटाला खोला, तो 1 महीने में हटा दिया
गुना में अपर कलेक्टर रहते हुए नियाज खान को जिला पंचायत सीईओ का प्रभार मिला था। इस दौरान खान ने देश का सबसे बड़ा ODF घोटाला खोला था। जांच में पाया गया कि गांवों में स्वच्छता, मुक्तिधाम, पीएम आवास में करोड़ों का घोटाला हुआ है। इस दौरान PM आवास और शौचालय घोटाले में 1,354 कर्मचारियों व अधिकारियों का वेतन रोक दिया था। इनके खिलाफ FIR दर्ज कराई गई।
72 घंटे में गुना के 250 गांवों में मुक्तिधाम बनवा दिए थे। यही नहीं, उन्होंने स्कूल निर्माण घोटाला भी सामने लाया था। इसमें 125 सरपंचों से 1.75 करोड़ की वसूली की गई थी, लेकिन इसका परिणाम यह हुआ कि सरकार ने नियाज खान से जिला पंचायत सीईओ का प्रभार वापस ले लिया।
पहली बार पचमढ़ी पहुंचाया बुलडोजर
नियाज खान 2006-07 में जब होशंगाबाद में पदस्थ थे, तब पचमढ़ी में अवैध कब्जा हटाने के लिए पहली बार बुलडोजर इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने नामी लेखिका अरुंधति राय के पति प्रदीप किशन और फिल्मकार विक्रम भट्ट की बहन के बंगले से अवैध कब्जा हटाया था। उन्होंने पिपरिया और बनखेड़ी से एक दिन में 600 से ज्यादा अतिक्रमण हटवाए थे। यहां अवैध रेत उत्खनन मामले में माइनिंग माफिया पर 8 करोड़ का जुर्माना लगाया था। खान ने सिवनी मालवा में सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन व आंदोलन करने वाले 136 कार्यकर्ताओं को 6 दिन के लिए जेल भेज दिया था।
शिक्षा विभाग को 12 घंटे में दिला दी 10 करोड़ की जमीन
नियाज जब ग्वालियर में पदस्थ थे, तब उन्होंने शिक्षा विभाग की 10 करोड़ की जमीन अवैध कब्जे से मुक्त करा ली थी। इस दौरान उन्होंने 12 घंटे तक लगातार अभियान चलाकर 600 से अधिक अतिक्रमण हटाए थे। इसी तरह, डबरा के बीहड़ की 300 बीघा जमीन दबंगों से मुक्त करवाकर तीन दिन में शासन के नाम कराई। मामले में कब्जाधारियों के खिलाफ FIR भी दर्ज कराई गई।
रतलाम में एक साथ 50 सरपंचों का काटा था जेल वारंट
रतलाम में पदस्थ रहते हुए नियाज खान ने स्कूलों के निर्माण कार्यों में बड़ा घोटाला खोला था। इसकी जांच में 50 सरंपचों को दोषी पाया गया था। इसके चलते खान ने सभी का एक साथ जेल वारंट काट दिया।इसी तरह, सैलाना में राजस्थान बॉर्डर पर एक दिन में 1500 डंपर रेत जब्त करने की कार्रवाई की गई।
नौकरी में आते ही छापे मारना शुरू कर दिया
मूल रूप से छत्तीसगढ़ के रहने वाले नियाज खान 2001 में राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बने थे। उन्हें 2015 में IAS में प्रमोशन मिला था। पहली पोस्टिंग 2002 में रायसेन के मंडीदीप में बतौर डिप्टी कलेक्टर हुई थी। उन्होंने नकली सामान बनाने वाली फैक्ट्रियों पर धावा बोला था। इस दौरान जान से मारने की धमकी भी मिली थी। इस पर मंडीदीप और बरेली थाने में FIR दर्ज कराई थी।
सरकारी बंगले खाली कराए, तो संपदा प्रभारी पद से हटाए
2019 में कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में नियाज खान को भोपाल में संपदा प्रभारी बनाया गया था। IAS अफसरों में इस पोस्ट को लूप लाइन माना जाता है। यहां रहते खान ने कई सालों से सरकारी बंगलों में जमे अफसरों व नेताओं की सूची तैयार कराई। इसमें पाया गया कि कई सीनियर IAS अफसर रिटायर होने के बाद भी बंगला नहीं छोड़ रहे थे। यही नहीं, 2018 में चुनाव हारने वाले करीब 6 मंत्रियों ने भी बंगले पर कब्जा कर रखा था। खान ने इन सभी को नोटिस जारी कर बंगले खाली कराए। इसके बाद उन्हें यहां से भी हटा दिया गया था।