जिसकी बारात की खातिरदारी से पहले हत्या-एनकाउंटर, उसका इंटरव्यू:निकाह से पहले मौत की खबर आई; हिरण नहीं, दावत में मुर्गा बनना तय था

14 मई को निकाह था। शाम को बारात आना थी। एक दिन पहले ही 13 मई की दोपहर 1 बजे चाचा शहजाद और नौशाद से एक साथ मुलाकात हुई। दोनों ने एक साथ कहा था- बेटी बहुत खुश हूं। दोनों चाचाओं के यही आखिरी शब्द थे। इसके बाद नौशाद चाचा से मुलाकात 14 मई की सुबह 5 बजे हुई। वह घायल थे। पसलियों में दो गोली लगी थीं। दादा निसार खान और चाची, मम्मी ने कमरे में लिटाया। कुछ बता पाते, उससे पहले ही उनका इंतकाल हो गया।
थोड़ी ही देर में पुलिस आ गई और हमारा घर घेर लिया। चाचा का शव कब्जे में ले लिया। दादा, पापा (सिराज खान), मां, बुआ और चाची को पीटना शुरू कर दिया। मां, बुआ और घर के सदस्यों को मेल पुलिस ने बेरहमी से पीटा। बड़ी बसों में भरकर पुलिस आई थी। घर की तलाशी ली। दादा और पापा को पुलिस कार में बैठाकर ले गई। तब से वे वापस घर नहीं लौटे।
छोटे चाचा नौशाद की मौत के बाद शादी टल गई। 14 मई की रात जिस समय निकाह होना था, उस समय घर में बड़े चाचा शहजाद की मौत की खबर आई। शादी में दावत के लिए हिरण और मोर के मांस की दावत की बात झूठी है। दावत में मुर्गा बनना तय हुआ था।
मंगेतर आसिफ खान का कॉल आया था। वो मुझसे बोले- इन हालात में शादी नहीं हो पाएगी। शादी टाल रहा हूं। रिश्ता नहीं तोड़ रहा। शिकार और पुलिस से मुठभेड़ से आपका कोई संबंध नहीं है। पुलिस और प्रशासन को अपनी जांच पूरी कर लेने दीजिए। जांच पूरी होने के बाद प्रशासन की अनुमति से शादी करेंगे। नतीजा कुछ भी हो, मेरा- आपका साथ उम्र भर का रहेगा। जिंदगी साथ गुजारेंगे।
::: जैसा अर्शी खान ने दैनिक भास्कर को बताया।
यह है मामला
गुना में शनिवार तड़के शिकारियों ने गोली मारकर तीन पुलिसकर्मियों (SI राजकुमार जाटव, कॉन्स्टेबल नीरज भार्गव और कॉन्स्टेबल संतराम) की हत्या कर दी थी। इस मुठभेड़ में नौशाद खान भी मारा गया। शाम तक पुलिस ने उसके भाई शहजाद खान को भी ढेर कर दिया। तीनों पुलिसकर्मियों का सम्मान राजकीय सम्मान से हुआ। दोनों भाइयों को एक-दूसरे के आसपास दफनाया गया।