MP सरकार की मोडिफिकेशन एप्लीकेशन पर आज सुनवाई:सुप्रीम कोर्ट में पहली प्रार्थना- 2022 के परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने की मंजूरी दें

सुप्रीम कोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को 10 मई को आदेश दे चुका है। इस आदेश में मोडिफिकेशन के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 12 मई को सुप्रीम कोर्ट में एप्लीकेशन दी। जिस पर आज सुनवाई होगी। इसके लिए राज्य सरकार ने चार पाइंट की प्रेयर (प्रार्थना) की है।
राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में की गई प्रेयर को लेकर एक याचिकाकर्ता जया ठाकुर का कहना है कि सरकार ने जो एप्लीकेशन ऑफ मोडिफिकेशन लगाई है, उसमें पहली प्रेयर की गई है कि 10 मई को डिलिमिटेशन की जो रिपोर्ट सबमिट हुई उसके साथ ही इलेक्शन कराए जाएं। जबकि सरकार मीडिया में हल्ला कर रही है ओबीसी समाज यह समझे उन्होंने आरक्षण के लिए एप्लीकेशन लगाई है। लेकिन ऐसा नहीं है। बीजेपी सरकार उन्हें भ्रमित कर रही है कि बो ओबीसी वर्ग के साथ है। वहीं मोडिफिकेशन की एप्लीकेशन एक्सेप्ट होने पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा था के सरकार ओबीसी आरक्षण के साथ ही चुनाव कराना चाहती है। कांग्रेस प्रवक्ता सैयद जाफर का आरोप है कि सरकार ने 946 पेज के आवेदन में कहीं भी जनपदवार ओबीसी जनसंख्या का उल्लेख नहीं किया है।
मोडिफाइड ऑर्डर के लिए सुप्रीम कोर्ट से सरकार की गई प्रार्थना
- 2022 में किए गए परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने की अनुमति दी जाए।
- अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की दूसरी रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण को नोटिफाइड करने के लिए और एससी-एसटी आरक्षण देने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया जाए।
- राज्य निर्वाचन चुनाव आयोग को दो सप्ताह के बजाय 4 सप्ताह में चुनाव की सूचना जारी करने का आदेश दिया जाए।
- ऐसे अन्य और आदेश पारित करें जो इस मामले परिस्थिति में उचित समझें।
दूसरी रिपोर्ट स्थानीय निकायवार पर आधारित
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की दूसरी रिपोर्ट सौंपी है और बताया गया कि यह रिपोर्ट स्थानीय निकायवार आरक्षण प्रतिशत के संबंध है। साथ ही अनुरोध किया कि कोर्ट इस रिपोर्ट पर भरोसा करे और इसके आधार पर ओबीसी आरक्षण अधिसूचित करने की अनुमति दे। इसके लिए 4 सप्ताह का समय मांगा गया। साथ ही कहा गया है कि समानतापूर्वक इतना समय एससी,एसटी आरक्षण के लिए भी लगेगा। ओबीसी आरक्षण की अधिसूचना की मंजूरी देने वाले आदेश से किसी पार्टी को पूर्वाग्रह नहीं होगा।
2011 की जनगणना के आंकड़े बताए
ओबीसी आरक्षण देने के लिए 2011 जनसंख्या के आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। इसके अनुसार ओबीसी की कुल संख्या में 51 प्रतिशत आबादी बताई गई है। सरकार का मानना है कि इस आधार पर ओबीसी को आरक्षण मिलता है तो उसके साथ न्याय हो सकेगा।