मध्यप्रदेश # माॅं की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजाकाट रहे बेटे की शेष सजा रद्द, जमानत पर रिहा करने के निर्देश

अनूपपुर पुलिस द्वारा असली आरोपियों को छोड़कर बेटे को आरोपी बनाने का मामला, थर्ड डिग्री टॉर्चर देते हुए पुलिस पर लगा जब्तीनामे से भी छेड़छाड़ का आरोप
जबलपुर, (सत्यजीत यादव)। जिला अनूपपुर के जैतहरी में सितंबर 2018 में हुई एक हत्या के प्रकरण में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया कि पुलिस द्वारा आवेदक की ही मां की हत्या के मामले में उसके बेटे को झूठा फंसाया गया। जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की खंडपीठ ने सजा काट रहे आवेदक सुदामा सिंह राठौर की शेष सजा रद्द कर दी है और जमानत पर रिहा करने के निर्देश दिए। निचली अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
जिला अनूपपुर के जैतहरी में एक पावर प्लांट के जमीन अधिग्रहण को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन में शामिल सुदामा सिंह को पुलिस पर हमले का आरोपी बनाया गया था। सितंबर 2018 में जब सुदामा की माँ की हत्या टोनही के शक पर हुई तो पुलिस ने असली आरोपियों को छोड़कर सुदामा को आरोपी बना दिया।
हिरासत में थर्ड डिग्री टॉर्चर
अधिवक्ता अंजना कुररिया ने याचिकाकर्ता की ओर से बताया कि पुलिस ने हिरासत में उसे थर्ड डिग्री टॉर्चर देते हुए उसके सिर से बाल उखाड़े और उसकी माँ के शव की उंगलियों में फंसा दिए। पुलिस ने जब्तीनामे से भी छेड़छाड़ करते हुए सुदामा सिंह को अभियुक्त बताया और उसे कोर्ट में पेश करके जेल भिजवा दिया।
फोटोग्राफ जांच रिपोर्ट में नहीं
अनूपपुर जिला अदालत ने सुदामा को आजीवन कारावास की सजा दी थी, जिसके खिलाफ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में अपील पेश की गई। उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान यह पाया कि जैतहरी पुलिस ने जब्तीनामे से छेड़छाड़ करते हुए उसमें फर्जी तथ्य जोड़े थे। घटनास्थल के फोटोग्राफ जांच रिपोर्ट में नहीं लगाए गए और एफएसएल रिपोर्ट प्राप्त करने में भी गड़बड़ी की गई।