जबलपुर: धर्म पैज का बैनर बनाए…शिव महापुराण: धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का अक्षय स्रोत-ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी,पार्थिव शिवलिंग, रुद्राक्ष, भस्म और बिल्वपत्र की महिमा से भक्त हुए भावविभोर, शंकराचार्य मठ में उमड़ा आस्था का सागर

SET NEWS, जबलपुर। श्री बगलामुखी सिद्ध पीठ शंकराचार्य मठ में चल रही श्री शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन पूज्य ब्रह्मचारी श्री चैतन्यानंद जी महाराज ने श्रद्धालुओं को शिवतत्व की दिव्यता और जीवनोपयोगी शिक्षाओं से परिचित कराते हुए कहा कि शिव महापुराण एक ऐसा अद्वितीय ग्रंथ है जो चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति कराता है। यह ग्रंथ न केवल आध्यात्मिक उन्नयन का मार्ग दिखाता है, बल्कि सांसारिक जीवन की जटिलताओं से भी मुक्ति दिलाता है।
पार्थिव शिवलिंग: सुख-समृद्धि और आरोग्यता का स्रोत-
कथा के आरंभ में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उसका विधिपूर्वक दुग्धाभिषेक एवं बिल्वपत्र अर्पण किया गया। ब्रह्मचारी जी ने बताया कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से धन, धान्य, आरोग्य और संतान की प्राप्ति होती है। उन्होंने इसे शारीरिक, मानसिक और आत्मिक कष्टों से मुक्ति का सशक्त माध्यम बताया। कथा पंडाल शिवमय वातावरण से गुंजायमान हो उठा,
रुद्राक्ष: शिव के आंसुओं से उत्पन्न अमूल्य धरोहर-
महाराज श्री ने श्रद्धालुओं को बताया कि रुद्राक्ष, भगवान शिव के अश्रु से उत्पन्न हुआ है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है। यह श्रद्धालु को भय, मोह, क्रोध और भ्रम से ऊपर उठाकर आत्मिक शांति की ओर ले जाता है।
भस्म-बिल्वपत्र: विरक्ति और त्रिगुणात्मक मुक्ति का प्रतीक-
कथा में भगवान शिव के विशिष्ट अंग भस्म की महत्ता को भी विस्तार से बताया गया। ब्रह्मचारी जी ने कहा कि भस्म केवल शरीर पर लगाया जाने वाला पदार्थ नहीं, बल्कि वैराग्य, निर्मलता और मृत्यु बोध का प्रतीक है। यह आत्मा को सांसारिक माया से ऊपर उठाकर शिवत्व के समीप लाता है।
बिल्वपत्र की त्रिपत्रीय संरचना त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा सत्व, रज और तम गुणों की प्रतीक है। यह मनुष्य को अहंकार और सांसारिक बंधनों से मुक्ति का संकेत देता है।
शिव महापुराण: परमात्मा की गति देने वाला ग्रंथ-
ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी ने शिव महापुराण की संरचना के बारे में बताया कि इसमें 24 हजार श्लोक और 7 संहिताएं हैं। यह ग्रंथ केवल धार्मिक जानकारी का स्रोत नहीं, बल्कि परब्रह्म परमात्मा की प्राप्ति का साधन है। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक इसका पाठ करता है, वह इस लोक में समस्त भोगों को भोगकर अंततः शिवलोक की प्राप्ति करता है। यह ग्रंथ सुख, समृद्धि और शांति का मार्ग है।
श्रद्धा और भक्ति का अद्वितीय संगम-
कथा में भक्तों की सहभागिता अत्यंत उल्लासपूर्ण रही। कथा स्थल को सुंदर फूलों और द्वार सज्जा से सजाया गया था। भजन-कीर्तन के साथ वातावरण संगीतमय और शिवमय बना रहा। आयोजन में भाग लेने वालों की श्रद्धा ने इसे एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव में बदल दिया।
यह रहे उपस्थित-
इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। जिनमें प्रमुख रूप से पद्मा मेनन, अमित प्रतीक्षा सिंह, मनीष दीप्ति, नीता पटेल, विजय-उषा कटारिया, लोपामुद्रा, कस्तूरी कांचन, ऋचा मिश्रा, रमेश-चित्रा महावर, वसुंधरा पांडेय, आराधना आशीष चौकसे, प्रीति नेहा साहू, मधु मिश्रा, तुलसी अवस्थी, पीयूष दुबे, अंकित दीक्षित, पुष्पेंद्र सिंह परिहार, शुभम चौरसिया, सुनील गुप्ता, गौरव चौबे, रोहित साहू, राहुल मौर्य, अभिषेक उपाध्याय, मीडिया प्रभारी मनोज सेन सहित अनेक श्रद्धालु शामिल हुए।