भोपाल पहुंचे एक पत्र ने मचाया हड़कंप, ऊर्जा मंत्री ने जताई सख्ती,मेन हैडिंग-सौभाग्य योजना में दोबारा खुलेंगे घोटाले के पन्ने!जबलपुर के कई कार्यपालन अभियंता सहित एई की बढ़ी टेंशन, राजधानी से हो सकते है जांच के आदेश

SET NEWS, जबलपुर। दो साल पहले चर्चाओं में आया सौभाग्य योजना में करोड़ों रुपए के फर्जी भुगतान और अनियमितताओं का मामला अब एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार हलचल की शुरुआत हुई है एक पत्र से, जो राजधानी भोपाल पहुंचते ही हलचल का कारण बन गया। बताया जा रहा है कि उक्त पत्र में सौभाग्य योजना के अंतर्गत जबलपुर और आसपास के क्षेत्रों में हुई आर्थिक अनियमितताओं की ओर ध्यान दिलाया गया है। मामला ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के संज्ञान में भी आ चुका है और अब राजधानी स्तर पर इस पूरे प्रकरण की पुनः जांच कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
पत्र में खुलासे ने खोली पुरानी फाइलें-
विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो हाल ही में जबलपुर से भेजे गए एक विस्तृत गोपनीय पत्र में सौभाग्य योजना के नाम पर करोड़ों के फर्जी भुगतान, फर्जी बिलिंग और बिना कार्य किए भुगतान जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस पत्र में उन अधिकारियों के नाम और पद भी दर्शाए गए हैं, जो पहले भी संदेह के घेरे में थे लेकिन बीच में ही अचानक कार्रवाई रुकने से वह बच गए, इतना ही नहीं अब वह मलाईदार पदों में आसीन भी है।
ऊर्जा मंत्री के तेवर तल्ख-
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को जैसे ही मामले की गंभीरता का पता चला, उन्होंने दोबारा जांच कराने के निर्देश दे दिए हैं। सूत्र बताते हैं कि इस बार जांच भोपाल स्तर पर स्वतंत्र टीम द्वारा की जाएगी, और इसकी जद में जबलपुर के सीनियर इंजीनियरिंग स्टाफ, कार्यपालक यंत्री, एई, यहां तक वर्तमान चीफ इंजीनियर तक आ सकते हैं।
पहले भी जांच में फंसे थे कई अधिकारी-
गौरतलब है कि दो वर्ष पहले भी जबलपुर, मंडला, डिंडोरी, सीधी और सिंगरौली जिलों में सौभाग्य योजना में गड़बड़ियों को लेकर विभागीय जांच हुई थी। उस समय जबलपुर जोन के चीफ इंजीनियर समेत कई कार्यपालक यंत्री, सहायक यंत्री और ठेकेदारों पर संदेह जताया गया था, लेकिन कुछ प्रभावशाली अफसर जांच से बच निकलने में कामयाब रहे थे। अब दोबारा जांच के आदेश के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
शक्ति भवन में बढ़ी बेचैनी-
भोपाल और जबलपुर स्थित शक्ति भवन में पदस्थ अधिकारियों में इस खबर के बाद बेचैनी है। बताया जा रहा है कि संबंधित अफसर अब खुद को जांच से बचाने की कवायद में जुट गए हैं, लेकिन इस बार ऊर्जा मंत्री की सख्त मंशा को देखते हुए राहत मिलना आसान नहीं होगा।
बड़ी कार्रवाई के संकेत-
मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यदि दोबारा जांच में पुराने आरोपों की पुष्टि होती है, तो न केवल निलंबन, बल्कि एफआईआर और विभागीय कार्रवाई तक की सिफारिश की जा सकती है। यह भी संभव है कि ऊर्जा मंत्री इस बार जनता के सामने कार्रवाई का रिपोर्ट कार्ड भी पेश करें।