जबलपुर: भगवान शिव के तेज से प्रकट हुए वीर कार्तिकेय-ब्रह्मचारी चैतन्यानंद,श्रावण मास में शिव महापुराण कथा के शुभ आयोजन में श्रद्धा, दर्शन और ज्ञान की त्रिवेणी बही

 जबलपुर: भगवान शिव के तेज से प्रकट हुए वीर कार्तिकेय-ब्रह्मचारी चैतन्यानंद,श्रावण मास में शिव महापुराण कथा के शुभ आयोजन में श्रद्धा, दर्शन और ज्ञान की त्रिवेणी बही
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SET NEWS, जबलपुर। श्रावण मास की पवित्रता और शिवभक्ति की परम आभा में जबलपुर स्थित श्री बगलामुखी सिद्ध पीठ शंकराचार्य मठ में श्री शिव महापुराण कथा और सहस्त्र रुद्री-अभिषेक का भव्य आयोजन जारी है। श्रद्धालुओं की उपस्थिति और दिव्य वातावरण के बीच प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग निर्माण, दुग्धाभिषेक, महाशृंगार और आरती संपन्न हो रही है। सोमवार की कथा में पूज्य ब्रह्मचारी श्री चैतन्यानंद जी महाराज ने भगवान कार्तिकेय की उत्पत्ति और उनके तेजस्वी स्वरूप का गूढ़ वर्णन करते हुए कहा जब अधर्म की जड़ें गहरी होने लगीं, तब भगवान शिव ने अपने तेज से एक ऐसी शक्ति को जन्म दिया जो केवल संहार ही नहीं, संतुलन का प्रतीक बनी वह थे कार्तिकेय। उन्होंने बताया कि तारकासुर को ब्रह्मा से वरदान मिला था कि केवल शिवपुत्र ही उसकी मृत्यु का कारण बन सकता है। देवताओं की पुकार पर शिव के तेज से कार्तिकेय का जन्म हुआ। छह कृतिकाओं द्वारा पालन-पोषण के कारण उनका नाम कार्तिकेय पड़ा। उन्होंने तारकासुर का वध कर देवताओं को भय से मुक्त किया और देवसेना के सेनापति बने। दक्षिण भारत में वे मुरुगन और शुभकर्ता देवता के रूप में पूजे जाते हैं।

गणेश जी की उत्पत्ति का प्रसंग ने किया भावविभोर-
कथा के दौरान गणेश जी की उत्पत्ति का प्रसंग भी अत्यंत भावविभोर कर देने वाला रहा। पूज्य महाराज श्री ने बताया कि माता पार्वती ने अपने उबटन से एक बालक को गढ़ा और उसमें प्राण डाल दिए। वह बालक गणेश बने। जब भगवान शिव ने प्रवेश करना चाहा, गणेश ने उन्हें रोका। क्रोधित होकर शिव ने उनका मस्तक काट दिया। पार्वती के वियोग में द्रवित होकर शिव ने एक हाथी का सिर गणेश के धड़ पर स्थापित कर उन्हें पुनर्जीवित किया और उन्हें प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया।

इसलिए हर कार्य की शुरूआत में प्रथम-
ब्रह्मा जी की दो पुत्रियां रिद्धि और सिद्धि का विवाह गणेश जी से हुआ, जिनसे क्षेम (शुभ) और लाभ (समृद्धि) नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए। गणेशजी आज भी मंगलमूर्ति और विघ्नहर्ता के रूप में प्रत्येक शुभ कार्य की शुरुआत का केंद्र हैं।

संहार नहीं सृष्टि को संतुलन देने वाली चेतना-
पूज्य चैतन्यानंद जी ने कहा भगवान शिव केवल संहार के देव नहीं, वे सृष्टि को संतुलन देने वाली चेतना हैं। उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय, ज्ञान और शक्ति के प्रतीक हैं। यह कथा मात्र पुराण नहीं जीवन को दिशा देने वाला दर्शन है।

यह रहे उपस्थित-
इस दिव्य आयोजन में पद्मा मेनन, नीता पटेल, रमेश महावर, डॉ. दीपक बहरानी, डॉ. अभिलाष पांडे, संजय मिश्रा, अनुरुद्ध सिन्हा, शिखा तिवारी, प्रतीक्षा सिंह, अर्पिता खरे, मधु यादव, तुलसी अवस्थी, पीयूष दुबे, अंकित दीक्षित, पुष्पेंद्र सिंह परिहार, आशीष चौकसे, सुनील गुप्ता, गौरव चौबे, रोहित साहू, राहुल मौर्य, अभिषेक उपाध्याय, सेन सहित अनेक श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।

jabalpur reporter

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