MP Electricity Regulatory Commission: आपत्ति पर बिना जवाब, जनसुनवाई आज

 MP Electricity Regulatory Commission: आपत्ति पर बिना जवाब, जनसुनवाई आज
SET News:

साल 2022—23 के लिए बिजली दरों को बढ़ाने संबंधी याचिका पर पहली जनसुनवाई मंगलवार को हो रही है। सुबह 11 बजे से आनलाइन यह जनसुनवाई होगी। आपत्तिकर्ताओं का आरोप है कि उन्हें बिजली वितरण कंपनी की तरफ से आपत्ति पर जवाब नहीं दिया है ऐसे में वो जनसुनवाई में कैसे शामिल हो सकते हैं। बिजली कंपनी ने औसत दर में 8.71 फीसद बढ़ोतरी करना चाह रही है।

अप्रैल 2022 से बिजली की नई दर तय होनी है जिसके लिए मप्र विद्युत नियामक आयोग की तरफ से जनसुनवाई का आयोजन किया गया है। बिजली की दरों को बढ़ाने के खिलाफ दर्जनभर से ज्यादा आपत्तिकर्ताओं ने आवेदन दिया है इसमें कई का आरोप है कि उन्हें अभी तक आपत्ति पर जवाब वितरण कंपनी के द्वारा नहीं भेजा गया है जबकि नियमानुसार जनसुनवाई से दो—तीन दिन पूर्व आपित्त पर जवाब दिया जाना चाहिए ताकि जनसुनवाई से पूर्व ही उसका अध्ययन कर जवाब दिया जा सके। महाकोशल चेम्बर आफ कामर्स के मानसेवी मंत्री शंकर नाग्देव ने कहा कि उनकी जानकारी में अधिकांश आपत्तिकर्ताओं को आपत्ति का जवाब नहीं मिला है। इसलिए वो इस संबंध में मप्र विद्युत नियामक आयोग के समक्ष आपत्ति दर्ज कराते हुए जनसुनवाई का विरोध करेंगे। महाकोशल उद्योग संघ डीआर जैसवानी ने कहा कि बिजली की दर बढ़ाना अनुचित है। उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डा.पीजी नाजपांडे ने भी बिजली की दर कोरोना संक्रमण काल में बढ़ाने को गलत बताया है। कृषक समाज के केके अग्रवाल ने कहा कि किसानों को पहले ही गुणवत्तायुक्त बिजली नहीं मिल पा रही है ऐसे में ​कृषि उपभोक्ता और ग्रामीण इलाकों में बिजली के दाम बढ़ाना गलत है। बिजली के दाम बढ़ाने से पहले वितरण कंपनी को बिजली की सप्लाई शहरों के हिसाब से गांव में अधोसंरचना तैयार करनी चाहिए।

ज्ञात हो कि बिजली कंपनी ने 2022-23 के लिए 48 हजार 874 करोड़ रुपये की जरूरत बताई है। इसमें आय में करीब 3915 करोड़ रुपये की कमी बनी हुई है जिसकी भरपाई के लिए कंपनी ने बिजली की दर को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के राजस्व लक्ष्य में कंपनी को करीब दो हजार करोड़ रुपये की कम आय हुई थी। जिसे कंपनी इस साल उपभोक्ताओं से वसूलने की तैयारी में है। यदि इस राशि को अलग कर दिया जाए तो कंपनी का आय में अंतर 1900 करोड़ के आसपास पहुंच जाएंगा। जिससे आम उपभोक्ताओं पर बिजली के दाम का बोझ भी हल्का हो सकता है।

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